Friday, June 5, 2015

यह नारी उपहास, उचित ?

यह नारी उपहास, उचित ?
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जंगल में मिली चुड़ैल से एक पुरुष यह कहता है
तेरी बहन मेरी पत्नी इसलिए तुझे पहचानता हूँ

5 में माँ ,दस मिनट में बहन को समझा सकता हूँ
पत्नी है ऐसी जिसे पूरे जीवन न समझा सकता हूँ

पत्नी पे निर्भर कृतघ्न पति यों उपहास उड़ाता है
ऐसी पोस्ट से हँसी नहीं मर्दानगी पे रोना आता है

मौके न देते नारी को उपयोग कर उस पे हँसते हो
देहसुख पाने को सामने फुसलाते नाक रगड़ते हो

वीर जो होते कभी निहत्थे पर प्रहार नहीं करते हैं
वीर जो होते श्रध्दा नारी के मन पर राज करते हैं

स्पर्धा स्वस्थ वह जिसमें समान साधन सबको मिलते हैं
उसे समतुल्य बनने दो वीर यदि नारी से स्पर्धा चाहते हो

गृहहिंसा , छेड़छाड़ , रेप फुसलावे ना तुम नारी पे करो
मिले मान , सुरक्षा, अवसर उनको, तुम उपाय ये करो
--राजेश जैन
05-06-2015

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