Tuesday, March 31, 2020

अप्रिय बात ..
भारत की अहिंसा की सँस्कृति यदि हम भारतीय ही न समझेंगे तो कौन समझेगा? चाहे जो कौम के हम लोग हों,हमें समझना होगा कि इस वर्ल्ड वॉर से प्रतीत होते हालात से, जिस दिन निजात मिलेगी, हर किसी को हमारी अहिंसक सँस्कृति की महिमा समझ आएगी। मगर यदि आज ही हम समझ लें तो हो सकता है, हममें से अधिकाँश इस विपदा से मानव समाज को मुक्त होते देखने भाग्य सुनिश्चित करेंगे।
अर्थात यह कि बिना किसी राजनैतिक/मजहबी/आर्थिक/नस्लीय पूर्वाग्रहों के इस वक़्त हमें जिम्मेदार होना होगा। अगर हम ऐसा करने में असमर्थ रहे तो कटु (इस बात का जिक्र मैं लाचारी में कर रहा हूँ) इस बात की पूरी संभावना है कि इस संकट में दुनिया की सबसे बड़ी तबाही हमारी होगी।
आज के आँकड़ों पर हमें खुद ही अपनी पीठ थपथपाने की जरूरत नहीं है। वर्तमान में कोरोना विकरालता, अन्य देशों में ज्यादा दिखाई दे रही है। किंतु वे अपेक्षाकृत कम नुक्सान में इसे काबू कर लेंगे।
वे विकसित देश हैं। उनका जनसँख्या घनत्व कम है। उनके नागरिकों में अपने राष्ट्र के कायदे क़ानून के प्रति ज्यादा सम्मान है। उनका लिटेरसी रेट हमसे बहुत ज्यादा है। उनके स्वास्थ्य व्यवस्था ज्यादा आधुनिक है।
इन सब क्षेत्रों में हम उनसे पीछे हैं।
अतः हम प्रिवेंशन से इसे रोक सके तो ही श्रेयस्कर होगा। अन्यथा फिर हमें भगवान पर भरोसा करने के अलावा कोई विकल्प नहीं रहेगा। और शायद भगवान के भरोसा मानने / ना मानने के लिए, शायद हम बचे भी नहीं।
(अप्रिय बात लिखने के लिए कृपया क्षमा कीजिये। मैं आपका ही थोड़ा कम समझ एक भाई हूँ। )
--राजेश चंद्रानी मदनलाल जैन
01.04.2020 

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