हम थोड़ी फ़िक्र रखें औरों की चलें सद्कर्म थोड़े जोड़ते हुए
ताकि जाना पड़े तो जायें हम बिन पछतावा दिल पर लिए
स्वार्थ सिध्द कर औरों से
बदलते रहे हम उनके प्रति
अब क्यूँ हतप्रभ कि बुरे वक़्त में
कोई बदल रहा जब हमारे प्रति
ताकि जाना पड़े तो जायें हम बिन पछतावा दिल पर लिए
स्वार्थ सिध्द कर औरों से
बदलते रहे हम उनके प्रति
अब क्यूँ हतप्रभ कि बुरे वक़्त में
कोई बदल रहा जब हमारे प्रति
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