हम दो रूह करीब आये थे। अभी अभी हमारी हत्या कर हमारी लाशें नाले में फेंकी गईं थीं। उस रूह ने मुझसे पूछा- तुम कैसे मारे गए हो?मैंने बताया- मैं 15 वर्ष की लड़की के शरीर में थी। आज कोचिंग से लौट रही थी। जबरन उठा कर मुझे उस चार मंजिलें घर में लाया गया था। घंटों उनके सामूहिक दैहिक एवं मानसिक यातनाओं की शिकार बनी थी। आखिर में खंजर घोंप मेरी हत्या कर दी गई है और अब मेरा नग्न शरीर, वह, नाले में ला फेंका गया है। यह बताते हुए, फिर, मैंने, उस रूह से पूछा था- आप कैसे जुदा हुए अपने शरीर से?उसने यूँ बताया- मैं सरकारी महकमे में गुप्तचर जानकारी के दायित्व लिए काम करता था। इस एरिया में पिछले कुछ दिन से बने हालात से निपटने के लिए मेरे बॉस ने यहाँ चल रही गति विधियों की ख़ुफ़िया जानकारी इकठ्ठी करने का कार्य मुझे सौंपा था। मैं पिछले कई दिनों से यह कार्य करता रहा था। आज उनमें से कुछ अपराधी किस्म के लोगों का मुझ पर शक हो गया था। कई ने इकट्ठे, मुझ पर हमला कर दिया था फिर उन्होंने मुझे भी उठा कर उसी इमारत में ले गए थे। उतने सारे लोगों से लड़कर, मैं बचने में नाकामयाब रहा। जब मेरी रूह शरीर से निकल भी चुकी तब भी मेरे उस मुर्दा शरीर पर उन्होंने चाकू खंजर के 40 से अधिक वार किये हैं। अब मेरी लाश वह तुम्हारे ही लाश के समीप नाले में फेंकी गई है। कहते हुए वह रूह, चुप हो गई है। शायद वह रूह भी सुन रही है, धीमे होते स्वर में तब के, मेरे इस प्रलाप को- जिन्हें नारी स्मिता का आदर करना नहीं आया, वे अपनी माँ बहन के अधिकार को लड़ते दिख रहे हैं। जिन्होंने मृत शरीर का सम्मान नहीं सीखा, मरने के बाद भी शरीरों को घिनौने तौर से नोंचा भोगा और लहुलुहान किया फिर घसीट नाले में फेंका है, वे अपने अधिकार का तर्क देते हैं और कहते हैं- वे न्याय के लिए लड़ रहे हैं!मुझे अनुभव हुआ कि अब, वह रूह पास नहीं है। मेरी रूह के भी स्मरण मिटने लगे हैं। शायद अगले जन्म के लिए यह रि फॉर्मेट की जा रही है। अंत में मेरा विचार यह रह गया है- हे ईश्वर, इस रूह को किसी ऐसे कट्टर शरीर में न डालना, जो अपने जीने के अधिकार सुरक्षित करने के लिए, किसी अन्य के जीने का अधिकार छीने ...
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