Tuesday, March 3, 2020

सिर्फ पछतावा रह गया है ..

सिर्फ पछतावा रह गया है ..

पुलिस ने मुझे दूसरे शहर से गिरफ्तार किया था, जहाँ मैं पिछले 4 दिनों से छिप कर रह रहा था।
दरअसल मैंने दंगों में गोली चलाई थी। जिससे दूसरे पक्ष के कुछ लोग हताहत हुए थे। फिर मैं वहाँ से फरार हुआ था। लेकिन चूँकि दंगे की शुरुआत में मेरी क्रिया की प्रतिक्रिया ने, दंगे को विकराल रूप प्रदान कर दिया था। हजारो लोग दुष्प्रभावित हुए थे। सार्वजनिक और अन्य की निजी संपत्तियों को बहुत क्षति हुई थी।
इससे मेरा अपराध संगीन हो गया था। टीवी फुटेज से मेरी पहचान कर सरगर्मी से मेरी तलाश की गई थी।
आज मेरे हाथों में हथकड़ियाँ पहना कर दंगा स्थल पर लाया गया है।
मुझे हैरत हो रही है, जो हमारे लोग मुझे उस दिन गोली चलाने को उकसा रहे थे, आज उनमें से कोई सामने, मेरे साथ नहीं आया है।
मुझे मालूम है कि थर्ड डिग्री की प्रताड़ना देकर, पुलिस मुझसे मेरे अपराध कबूल करवा लेगी।
मुझे यह भी ज्ञात है कि मेरी ज़िंदगी के कई वर्ष, अब कारावास में कट जाने वाले हैं। मुझे साफ़, यह भी पता है कि मेरे अपने परिजन, मेरी चिंता और अदालती चक्करों में अधमरे होने वाले हैं।
अगर भाग्य ने साथ दिया भी और मैं जीते जी सजा मुक्त किया गया तब भी, इतने वर्ष बीतने वाले हैं कि
मैं, युवा से अधेड़ हो जाने वाला हूँ। अर्थात जीवन के अनमोल समय जिसमें सृजनशीलता उच्चतम होती है, जिसका उपयोग कर मैं इंसानियत के लिए मिसाल हो सकने वाले कार्य कर सकता था, वह कैद के कारावास और अवसाद में व्यर्थ होने वाले हैं।
जिसको बदला नहीं जा सकता वह कार्य मैंने किया है।
मुझे अनुभव नहीं था। कौमी नेता, अपनी राजनीति और धार्मिक दुकान चलाये रखने के लिए, जिसको हमारी खुशियों और जीने की राह निरूपित कर रहे थे, उनके ऐसे बहकावों में उस पर चलकर मैंने अपनी और अपने परिजनों की ज़िंदगी की खुशियाँ मिटा डाली थी।
मैं ट्रैप में फँस गया था। दूसरे पक्ष ने हमें उकसाया था। उस उकसावे में, हमने अपराध किये थे। दंगे शांत हो गए थे। अब हम पर कानून का शिकंजा कस गया था। हम जैसे अनेकों दंगाई कैद हो गए थे।
हमारे अपराध प्रवृत्ति के कई लोग धर लिए जाने से, दूसरे पक्ष के लोग निशंक खुशियों में जीवन के अवसर पा सकेंगे, मुझे यह दिखाई दे रहा था। काश! हम भी देश और समाज बनाने में लगते। हम और वे साथ साथ खुशियों से जीवन यापन करते लेकिन अब -सिर्फ पछतावा रह गया है .. 


-- राजेश चंद्रानी मदनलाल जैन
04.03.2020

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