खुशनसीबी कि खुशनसीबों से हाथ मिलाते रहे
फ़िक्र नहीं कि हाथों की लकीरें अलग हैं हमारी
इजहार ए मोहब्बत आज गुलाब की मोहताज है
हमारी ख़ामोशी ही जिसे बेसाख्ता बयां करती है
ना खुद से ही लड़ो - ना ही ज़माने से लड़ने की ज़रूरत
ऐसी भी राहें - जिन पर बिन लड़े भी ज़िंदगी चलती है
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