Saturday, February 9, 2019


खुशनसीबी कि खुशनसीबों से हाथ मिलाते रहे
फ़िक्र नहीं कि हाथों की लकीरें अलग हैं हमारी

इजहार ए मोहब्बत आज गुलाब की मोहताज है
हमारी ख़ामोशी ही जिसे बेसाख्ता बयां करती है

ना खुद से ही लड़ो - ना ही ज़माने से लड़ने की ज़रूरत
ऐसी भी राहें - जिन पर बिन लड़े भी ज़िंदगी चलती है 

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