Monday, February 11, 2019

मोहब्बत की पेशकश तेरी
गर नफ़रत ही बढ़ाती है
तो गलती तेरी कोई नहीं
कसूर उनकी ज़मीं का है

जो उनकी जमीं नफ़रत की हो
मोहब्बत की उसे बनाना भी फर्ज तेरा है
उन्हें मोहब्बत की ख़ुशी अहसास नहीं
मगर याद रख तू मोहब्बत का मसीहा है

रखें शिकायतें जिनके दिल में नफ़रत भरी
तुझे क्यूँ हो कि तेरे दिल में मोहब्बत रखी

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