Monday, February 4, 2019

विवाह क्यों नहीं और लिव इन रिलेशन क्यों?

विवाह क्यों नहीं और लिव इन रिलेशन क्यों? 

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उस शाम अंशिका के तर्क और जबाब के बाद अंशुमन ने मोबाइल कॉल काट दिया था, उसे लगा था कि फोन कॉल पर चर्चा से बात बनेगी नहीं , मुंबई जाकर आमने सामने बैठ अंशिका से बात करना एवं समझाना ठीक रहेगा। इधर अंशिका भी पापा के द्वारा फोन काट दिए जाने से आशंकित हो गई थी , वह पापा - मम्मी को बहुत चाहती थी आदर भी उनका बहुत करती थी। उसने अगली सुबह मुंबई से घर आने की बात कही तो अंशुमन ने मना किया कि तुम्हें छुट्टी लेनी पड़ेगी। इस शनिवार, रविवार हम दोनों ही मुंबई आते हैं। दरअसल अंशुमन का मानना था किसी ने अंशिका का ब्रेन वॉश किया है , अन्यथा पहले अंशिका का दृष्टिकोण जीवन के प्रति इस तरह का नहीं था।
संयोग से जब अंशुमन - मिताली मुंबई पहुँचे तो जतिन गृहनगर लुधियाना गया हुआ था। वीकेंड होने से अंशिका भी फुरसत में थी।  दोपहर भोजन के बाद अंशुमन ने ही बात शुरू कि थी पूछा - बेटी , विवाह क्यों नहीं और लिव इन रिलेशन क्यों? इस की मेरिट्स-डी मेरिट्स क्या मानती हो ?
अंशिका जैसे पहले ही ऐसे प्रश्न के लिए तैयार थी ने कहा - पापा , आप देख रहे हैं हमारे यहाँ नारी पर विभिन्न प्रकार की गृहहिंसा , शोषण और उन पर पाबंदी के चलते अब हो रही शादियों में लगभग 10 % की परिणिति तलाक में होने लगी है। इस पर मिताली ने कहा - मगर तुम यह क्यों नहीं देख रही कि 90 % विवाह निभ भी रहे हैं। अंशिका ने उत्तर दिया - मम्मा अधिकाँश के निभ जाने का कारण उनमें पत्नी का आर्थिक रूप से पति पर निर्भर होना है। जबकि इस कारण से पत्नी की ज़िंदगी पूरी तरह पति की ज्यादतियों में दबी रहती है। जहाँ आर्थिक स्व निर्भरता है , पत्नी ज्यादतियां बर्दाश्त नहीं कर रही है और अंततः तलाक को मजबूर होती है। अंशुमन ने इस पर कहा - बेटी अब ससुराल और लड़कों में बदलाव आ रहा है - बात अब ऐसी नहीं कि वे बहू - पत्नी पर ज्यादतियां करते हों और तुम समझो कि लिव इन रिलेशन पर कितनी टीका टिपण्णी हम पर होंगी।
अंशिका ने इस पर कहा - पापा यह समाज टीका टिपण्णी की हॉबी रखता है , तलाक होता है तब भी तो टीका टिपण्णी करता है। आप पूछते हो, लिव इन रिलेशन क्यों तो ये तथ्य तो हैं ही। साथ ही इसमें रहने से दहेज़ कुप्रथा भी प्रभावित नहीं करती। साथ ही विवाह में दोनों पक्षों को अपनी हैसियत से बढ़कर दिखावे और खर्चों की मजबूरी भी नहीं होती।

अब तक के अंशिका के उत्तरों से अंशुमन और मिताली यह समझ चुके थे कि अंशिका को विवाह के लिए मनाना आसान नहीं। अपनी प्यारी बेटी पर वे कोई मानसिक दबाव भी नहीं डालना चाहते थे। किंतु दोनों ही उसके भविष्य को लेकर आशंकित और चिंताग्रस्त हो गए थे। उनके चेहरों से यह बात अंशिका ने भी पढ़ ली थी। 

(जारी)
राजेश चंद्रानी मदनलाल जैन
04-2-2018

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