Wednesday, February 6, 2019

हम बनाते ज़िंदगी के लिए ख़ूबसूरत सा इक आशियाना
इक दिन मगर इसमें से ख़ूबसूरत ज़िंदगी गुजर जाती है

#सबकी_सहूलियत_की_खातिर
जुगत तो कई कीं थीं मैंने, कि ज़माना मेरी हैसियत पहचाने
ज़माना माना नहीं, मैंने 'अदना हूँ' अपनी कैफ़ियत रख ली

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