हम बनाते ज़िंदगी के लिए ख़ूबसूरत सा इक आशियाना
इक दिन मगर इसमें से ख़ूबसूरत ज़िंदगी गुजर जाती है
#सबकी_सहूलियत_की_खातिर
जुगत तो कई कीं थीं मैंने, कि ज़माना मेरी हैसियत पहचाने
ज़माना माना नहीं, मैंने 'अदना हूँ' अपनी कैफ़ियत रख ली
इक दिन मगर इसमें से ख़ूबसूरत ज़िंदगी गुजर जाती है
#सबकी_सहूलियत_की_खातिर
जुगत तो कई कीं थीं मैंने, कि ज़माना मेरी हैसियत पहचाने
ज़माना माना नहीं, मैंने 'अदना हूँ' अपनी कैफ़ियत रख ली
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