Tuesday, February 5, 2019

लैला के लिए मँजनु की मौज़ूदगी

लैला के लिए मँजनु की मौज़ूदगी 

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(लिव इन रिलेशन पर गतांक से आगे तृतीय भाग)
उस शाम अंशिका,  अंशुमन और मिताली को जुहू बीच ले गई। किंतु तफरीह का मन किसी का नहीं था। अंशुमन और मिताली के चेहरे पर गंभीरता उनके हृदय की चिंताओं को दर्शा रही थे। अंशिका एक प्रकार से अपराध बोध में थी कि उसने जीवन में पहली बार ऐसा किया था जो मम्मा, पापा को नापसंद हुआ था। एक अपेक्षाकृत कम भीड़ वाली जगह रेत पर जाकर तीनों बैठ गए थे। अंशुमन ने अंशिका को नहीं अपितु समंदर की आ रही लहरों के तरफ देखते हुए पूछा - बेटी तुम्हें क्या लगता है, जतिन के साथ ऐसे रहने से जीवन में परिवार के होने से मिलने वाली सुरक्षा और स्थायित्व सुनिश्चित हो सकेंगे? तब अंशिका ने कहा - पापा लिव इन रिलेशन में यह आज़ादी है कि जब तक आपको साथ पसंद आये तब तक रहें अन्यथा बिना किसी परेशानी के अलग भी हो सकते हैं। यह जरूरी नहीं कि जतिन के साथ ही मैं आजीवन रहूँ। अतएव लिव इन रिलेशन आजीवन चलने वाली बात नहीं है। मैं 50 साल बाद की आशंकाओं में नहीं, वर्तमान के मजे को जीना चाहती हूँ। 
मिताली ने इस उत्तर पर तनिक चिढ़ कर कहा - यही तो परेशानी की बात है। इस तरह रहने से सिर्फ शारीरिक रिश्ते ही रहते हैं, सुख में साथ सुनिश्चित होता है, दुःख और परेशानी के समय अकेली पड़ जाओगी। बच्चे होंगे नहीं अगर हुए तो अलगाव में किस के साथ होंगे, किसके नहीं- पता नहीं। तुम, अपनी सोच सकी हो बच्चों की नहीं सोच सकी हो। इतना कहते हुए रुष्ट सी प्रतीत हो रही मिताली चुप हो गई। 
दोनों की सुन अंशुमन ने अंशिका से फिर प्रश्न किया , अंशिका जैसे आपने बताया मानलो जतिन से तुम्हें 4 सालों में अलग होना पड़ा तो फिर क्या होगा। फिर, अगला कोई लिव इन रिलेशन? पापा का अंशिका को इस तरह पूरे नाम से बोला जाना अटपटा लगा , प्रायः वे बेटी या घर के नाम से ही उसे संबोधित करते हैं, उसने जबाब दिया - जी पापा संभव है। अंशुमन ने बिना देर किये फिर पूछ लिया - आप क्या समझती हो, आपकी किस उम्र तक ऐसे लिव इन रिलेशन की यह सीरीज़ आगे बढ़ सकेगी? दूसरे शब्दों में ऐसे पार्टनर कब तक उपलब्ध होंगे? इस प्रश्न पर अंशिका तनिक सोचने लगी। तब मिताली ने कहा - बेटी 40 - 45 साल की उम्र तक तो ढेरों पुरुष तुममें रूचि लेते मिलेंगे फिर आगे बिरले होते चले जायेंगे। 
इस पर अंशिका ने कुछ जबाब देते देते अपने को रोक लिया था।  अंशिका को चुप्पी लगाते देख अंशुमन ने टिपण्णी कर दी - "लैला जब तक नवयौवना या युवा है तब तक ही उसे मँजनु उपलब्ध हैं"। इस के बाद तीनों में ख़ामोशी पसर गई थी। 
अंशुमन एकटक समंदर की आती जाती लहरों को निहार रहा था। उसके मन में विचार आया था कि किनारों पर लोगों द्वारा की गई गंदगी को लहरें, अपने आगोश में समेट ले जा लेती हैं। फिर अपनी तरह से परिशोधित कर कुछ को वापिस किनारे लगा देती हैं , और कुछ को समंदर का हिस्सा बना उन्हें तलहटी में छिपा देती हैं। इसी तरह समय की लहरें आती जाती हैं - मानव समाज में अच्छी बुरी प्रथा का परिशोधन करती हुईं कुछ को समाज चलन का हिस्सा बना देती हैं, और कुछ को इतिहास के गर्त में छुपा देतीं हैं. 

(जारी)
राजेश चंद्रानी मदनलाल जैन
06-2-2019

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