Sunday, February 10, 2019

जिस्म औ जान से ज्यादा - मुझे तेरे ख़्वाब थे पसंद
मरने पर साथ - बेगुनाह मेरे मासूम ख़्वाब दफन हुए

फिर भी बुरे नहीं हैं ख़्वाब
अगर ख़्वाब मेरे पूरे नहीं होते
ऐसे भी तो हैं ख़्वाब
औरों ने देखे उनकी हक़ीक़त हुए हैं

जब जिंदगी ग़मगीन लगे, ख़्वाब देखिये
कहीं सुकून न मिले तो, उनमें रह लीजिये


जीने की हसरत मुझ में - अब सिर्फ तेरे लिए है कि
अंजाम दे सकूँ वह काम - तुझे मेरा साथ फख्र लगे

ना खुद से ही लड़ो - ना ही तुम ज़माने से लड़ो
जी रहे लड़ लड़ के - उन्हें प्यार सीखा के जियो

सावन में हुए अंधे को - हरा हरा दिखाई देता है
इश्क के बेहरे को - आई लव यू सुनाई पड़ता है


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