Saturday, February 23, 2019

परम मित्र - माँ

परम मित्र - माँ 

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(लिव इन रिलेशन पर गतांक से आगे पंचम भाग)

अंशुमन के शयनकक्ष में जाने से अब माँ - बेटी अकेली थी। मिताली मान रही थी कि अंशुमन की बातों ने अंशिका पर असर कर दिया था , अब थोड़ी कोई कसर रह गई हो तो उसके प्रयास उसे करने हैं।  मिताली ने सोफे पर अंशिका को अपने पास खींचा और उसके बालों में अपना दुलार भरा हाथ फिराया। माँ के सुपरिचित इस अनुराग तले आकर मिताली का हृदय द्रवित हो गया उसकी सुंदर बड़ी आँखों में अश्रु झिलमिलाने लगे। अंशिका कि उम्र ही क्या थी, 22-23 साल की कोई बेटी  शैक्षणिक योग्यता कितनी ही बड़ी हासिल कर ले किंतु युवा ऐसी कोई लड़की ज़माने के हथकंडो से अंजान ही होती है। मिताली ने अंशिका के चेहरे को अपनी गोद में लिया जिससे अंशिका सोफे पर अधलेटी व्यवस्थित हो गई। मिताली ने अंशिका की आँखों में भर आये अश्रु अपनी दुप्पटे से पोंछे और जब अंशिका ने माँ सानिध्य में स्वयं को संयत कर लिया तब मिताली ने कहा -
"अंशु बेटी तुम अभी छोटी हो, नहीं जानती कि इस उम्र की कोई लड़की जिसमें यौवन और सुंदरता भरपूर हो उसको बरगलाने के लिए ज़माना क्या कुछ हथकंडे नहीं अपनाता।  उन सब हथकंडो का शिकार अभी की पीढ़ियों में लड़कियाँ जो पढ़ने लिखने के लिए हॉस्टल में रहती हैं या और जॉब में महानगरों में आई होतीं हैं, वे हो रहीं हैं. उनसे करीबी सुनिश्चित करने के लिए मर्द अति सक्रिय हो जाते हैं , उनमें ड्रिंक्स की आदतें उत्पन्न कर देना, रात्रि पार्टियों में आने को प्रवृत्त करना, उन्हें सैर सपाटे के लिए प्रोत्साहित करना साथ के सहकर्मियों के विशेष हथकंडे होते हैं।  इन बहानों से उन्हें लड़की का अतिरिक्त साथ हासिल होता है, जिसमें उनकी कोशिश लड़की को उपहारों से उपकृत करने की होती है। उपकृत हुई लड़की उनके झाँसो में आसानी से आने लगती है और तब आधुनिकता के नाम पर वे उनसे शारीरिक संबंध बनाने को उकसाते हैं। इस सब में मार्केट को कमाई मिलती है. कमाई सुनिश्चित करने के मंतव्य से अब नए प्रसिद्ध स्पोर्ट्स, बॉलीवुड और टीवी आर्टिस्ट के माध्यम से लिव इन रिलेशन का नया जाल बुन लिया गया है जिसमें फँसाने के लिए विवाह को दकियानूसी, नारी स्वतंत्रता की दृष्टि से खतरनाक और ज़िंदगी के मजों को खत्म कर देने वाला प्रचारित किया जा रहा है।
वास्तव में नारी - पुरुष में यौवन आकर्षण और उम्र की जरूरत के लिए विवाह वह माध्यम होता है जिससे दो अज़नबी में प्यार की वह मजबूत बुनियाद बनती है जिससे जीवन भर का साथ, सुरक्षा और परस्पर हित सुनिश्चित होता है। लिव इन रिलेशन के माध्यम से लड़की/नारी का यौवन और आकर्षण जब तक कायम है उसे भोगने के लिए लड़के/मर्दों की उपलब्धता है। इसके खत्म होते ही नारी ठगी सी अकेली और अवसाद में रह जाने को बाध्य होती है। आज मजे का लगता जीवन तब एक अभिशाप होता है। लेकिन तब चेतना आना विलंब हो जाना होता है आगे सिर्फ पछतावा ही साथ होता है।
समझो कि पिछले वर्ष तक अति अनुशासित बेटी तुम , ब्रेन वाश का शिकार हुई हो। अभी ज्यादा विलंब नहीं हुआ है सुधार के अवसर अभी हाथ में हैं।"
माँ की कही बातों का असर अंशिका पर हुआ था - वह अब चमकीले परिवेश में दिखाए जा रहे पक्ष से अलग वह पक्ष देखने की कोशिश कर रही थी जो मनुष्य जीवन को अनुशासन और मर्यादा में रखता है।  जिससे समाज में परस्पर प्रेम, दया और सौजन्य के माध्यम से मनुष्य जीवन में पूरा आनंद सुनिश्चित होता है। अंशिका अब इन सारे तर्क सहित इस विषय पर जतिन से बात करने पर विचार कर रही थी। 

(जारी)
राजेश चंद्रानी मदनलाल जैन
23-2-2019

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