नज़र-नीयत अपनी बिगाड़ रखी है
सवाल नारी के वस्त्रों पर करते हैं
नारी को अपनी छेंक कपड़ों में
गंदी नज़र-नीयत लिए डोला करते हैं
एक बार आईने में ख़ुद को - हमने नज़र भर जो देख लिया
बाद उसके गज़ब हुआ - आईना औरों को दिखाना छोड़ दिया
आपकी नज़रों में आये - और हम खास हो गये
ख़ासियत हममें कोई थी या नहीं - सवाल ख़त्म हो गये
माशूकाओं पर अपनी - हम शायरी बहुत लिखते हैं
जागृति लायें - ताकि वे हिफ़ाजत से ज़िंदगी बसर कर पायें
पशोपेश में हैं हम कि -
तुमसे बात करके तुम्हें - डिस्टर्ब तो नहीं करते
या
बात जब हम न करें - तुम तन्हा तो नहीं रहते
ले लो चाहे कठिन परीक्षा - कोई ताकत नहीं - तुमसे हमें दूर करे
वादा है तुमसे कि - मर भी गए तो - अगले जन्म तुम्हें ढूँढ मिलेंगे
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