Thursday, August 23, 2018

जीवन दायिनी ..

जीवन दायिनी ..
-----------------


भास्कर वह फ़्लायर था जो उस प्लेन क्रेश में था जिसमें प्लेन एक वीरान बर्फीले प्रदेश में जा गिरा था एवं जिसमें कुछ लोगों की जानें ही बची थी। वहाँ ना कोई वनस्पति नहीं थी , ना ही दूर दूर तक कोई मानव आबादी। अत्यधिक ठंडा मौसम और वीरानगी बचे यात्रियों के लिए जीवित रह सकने के लिए कठिन चुनौती प्रस्तुत करते थे। भोज्य सामग्री का न होना रही सही कसर भी खत्म कर दे रही थी। विमान में सर्व की जाने के लिए रखी सामग्री भी अत्यंत कम थी। उसे झपटने के लिए सभी में तकरार होती थी। विमान में रखे यात्रियों के सामान भी छान लिए जा रहे थे। जो भी भोज्य सामग्री थी 2 दिनों में खत्म हो गई थी। बचे यात्रियों में कुछ घायल थे , कुछ में जीवटता की कमी थी , जो एक एक कर जीवन से हारते जा रहे थे।
भास्कर जैसी भी भोज्य सामग्री थी , उसे किसी तरह निगलता था और अधभूखा रह कर उसे थोड़ा ज्यादा समय तक चलाने का यत्न करता था। दयावश अपने कब्जे की सामग्री में से कुछ बच्चों और महिलाओं को भी दे देता था। चौथे दिन खोजी चॉपर ने उन्हें खोज लिया था और 13 बच रहे यात्रियों को एक एक कर 600 किमी दूर सबसे पास के शहर में सुरक्षित पहुँचा दिया था। इस दुर्घटना को कुछ साल बीत गए थे।
अब भास्कर की पत्नी सुनीता जब रिश्तेदारी में बाहर जाती , भास्कर बाहर खाना पसंद नहीं करता था। रखी भोज्य सामग्री में से या स्वयं तैयार की गई सामग्री से (जो उसे ठीक तरह बनाना नहीं आती थी) , अपना काम चलाया करता था।
हर बार सुनीता का मायके जाना - उसे प्लेन क्रैश के माफिक लगता था। और सुनीता का लौट कर आना , जीवन दायिनी सहायता का आ जाना लगता था।

--राजेश चंद्रानी मदनलाल जैन
23-08-2018

 

No comments:

Post a Comment