Sunday, August 19, 2018

अपनी मनहूसियत लिए
तुम्हारे सामने पड़ने का मुझे कोई शौक नहीं
जब सामने पड़ जाऊँ
तुम समझ लेना हालात ने मजबूर किया होगा

दिखता है कोई खुश
जहाँ मुझे बहुत प्यारा लगता है
दिखता है जब कोई ग़मगीन
ज़िंदगी है तो देखना मेरी मजबूरी है

दूसरों की खुशियों में हुई इकट्ठी भीड़ का मैं हिस्सा होता हूँ
अपनी उदासियों के समय मैं खुद को खुद में समेट लेता हूँ


हमारी औकात बताते
उन हालातों से गुजरना नापसंद तो होता है
मगर मुझे इसलिए पसंद कि ये ही हैं
जिन्होंने जिंदगी चीज क्या मुझे समझाया है


किसी को दोष देना
मेरी फ़ितरत में नहीं
अपने दोष देख लेना
मुझे गॉड गिफ्टेड है
 

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