'आम' , कोई नहीं होता यहाँ
खुद के लिए -
सूरत , हसरतें , ख़्वाब , मंसूबे ,
ज़िंदगी और इरादे उसके 'खास' होते हैं
चलिए अब से उसूल हम ऐसे कर लेते हैं
जिद कोई नहीं ,
भली हर बात आपकी या हमारी मान लेते हैं
अधूरे रह गए सभी के कुछ ख्वाब
अधूरे कुछ ख्वाब हमारे भी रहेंगे
जिसे तुम्हारी रुखाई समझ - हम शिकायत रखते थे तुमसे
थे तुम जीवन संघर्ष में व्यस्त - ये जान अपने पर अफ़सोस हुआ
आपसे ऐसी उम्मीद न थी कि
निर्दयता से वह खुशफ़हमी तोड़ देंगे
जिससे हमें ज़िंदगी अपनी
जीने लायक लगा करती थी
किसी बेचारे की तो - जाँ पर बन आई
बेदर्द आप - उस पर आपको हँसी आई
खुद के लिए -
सूरत , हसरतें , ख़्वाब , मंसूबे ,
ज़िंदगी और इरादे उसके 'खास' होते हैं
चलिए अब से उसूल हम ऐसे कर लेते हैं
जिद कोई नहीं ,
भली हर बात आपकी या हमारी मान लेते हैं
अधूरे रह गए सभी के कुछ ख्वाब
अधूरे कुछ ख्वाब हमारे भी रहेंगे
जिसे तुम्हारी रुखाई समझ - हम शिकायत रखते थे तुमसे
थे तुम जीवन संघर्ष में व्यस्त - ये जान अपने पर अफ़सोस हुआ
आपसे ऐसी उम्मीद न थी कि
निर्दयता से वह खुशफ़हमी तोड़ देंगे
जिससे हमें ज़िंदगी अपनी
जीने लायक लगा करती थी
किसी बेचारे की तो - जाँ पर बन आई
बेदर्द आप - उस पर आपको हँसी आई
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