Wednesday, August 8, 2018

इंसानियत से जिये नहीं - घमंड हमारा आसमां छूता था
मरते वक़्त समझ सके - पिद्दी सी हमारी हैसियत थी

खुशफ़हमियाँ रहें कुछ कि - हौसले ज़िंदगी के हमारे कायम रहें
खुशफ़हमियाँ इतनी भी ठीक नहीं कि - जीने के सबब ही भूले रहें

#ज्यादा_स्पिन_हो_गई
पागल ही कह लो हमें - कि आम से हम नहीं
आम हो कर जीना भी - पागलपन से कम नहीं

ज़िंदगी खेलती जहाँ - पिच ज्यादा ही स्पिन लेता है
कितना भी हो महान - बल्लेबाज क्लीन बोल्ड होता है

हम समझें कि -
कौमों के बीच नफ़रत बढ़ा कर 
एक बड़ी आबादी की -
अच्छाईयों से हम मरहूम रहते हैं

दिल में नफ़रत पैदा करके
उसे इंसान नहीं बचने देते
फिर हमें ज़माने से शिकायत कि
इंसानियत अब बची नहीं


शिकायतों शिकायतों में ही
कुछ कर नहीं पायेंगे
कर गुजरने के मिले मौके को
हम यूँ ही गँवा जायेंगे


मिली ज़िंदगी की नेमत तुझे
इसे मोहब्बत से जी ले तू
नफ़रत ही गर जीना तुझे
पैदा होने की जहमत क्यूँ लेता तू















 

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