Saturday, April 3, 2021

 भारतीय पति पत्नी को आत्मीय रूप से जोड़ने वाला सेतु, प्रथम, युवा अवस्था में होने वाले सहज आकर्षण से निर्मित होता है। बाद में दोनों के प्रणय संबंध के परिणाम स्वरूप जन्मी अपनी संतानें देखना, उनका पालन पोषण करना, इस सेतु की दृढ़ता बनाए रखता है। इस बीच ही, साथ साथ जीवन डगर तय करते हुए पति-पत्नी दोनों ही, परस्पर एक दूसरे के लिए त्याग करते / करुणा रखते हैं। तब सहयोग एवं प्यार से बिताए साथ का यह आरंभिक काल, उस स्मरण एवं आपसी आभार बोध में परिणत हो जाते हैं ,जो प्रौढ़ावस्था एवं वृद्धावस्था में कमजोर हो गए आकर्षण के बाद भी, आत्मीय रूप से उन्हें जोड़े रखने वाले इस सेतु को बचाए रखते हैं ... 

(अभी लिखी जा रही मेरी कहानी से उद्धृत एक पैराग्राफ) 

No comments:

Post a Comment