Saturday, June 15, 2019

सजग,सादगी एवं सौंदर्य

सजग,सादगी एवं सौंदर्य

ईक्कीसवीं सदी के ठीक पहले दिन 1 जनवरी 2000 को वह जन्मी, उसका यह नाम 'सौंदर्य' रखा था पापा 'सजग' ने, उन्हें बेटी की सुंदरता से मैचिंग लगा था. सौंदर्य को, बचपन में ही सभी दृष्टि दूसरे बच्चों की अपेक्षा अपने लिए ज्यादा प्रशंसनीय लगती थी। अभी छोटी थी वह स्वाभाविक ही था कि उसे सिर्फ अपनी ख़ुशी की ही परवाह रहती. आरंभ में उसे वस्त्र जो मम्मी-पापा लाते वह पहनाये जाते। प्राइमरी स्कूल में जब पढ़ने लगी तो साथ के बच्चे कपड़ों पर चर्चा करते तब दूसरी लड़कियों के जो कपड़े उसे अच्छे लगते वैसे वस्त्र की जिद उसकी होती. कभी मम्मी 'सादगी' या पापा वैसे वस्त्र उसे दिला देते कभी नहीं भी दिलाते थे. फिर वह मिडिल स्कूल में आ गई. अब तक साथ के लड़कों द्वारा उसे विशेष दृष्टि से देखा जाने लगा था। उसे यह अच्छा लगता था। इस बीच वह मूवीज़ में अभिनेत्रियों को जिन आधुनिक वस्त्रों में देखती वैसे वस्त्रों की फरमाइश भी मम्मी-पापा से करने लगती। बेटी छोटी ही है यह सोचते हुए उसे आधुनिक परिधान भी दिला दिए जाते। उसे ऐसे वस्त्रों में देख साथ के लड़के उसकी हँस हँस कर तारीफ़ करते और प्यार भरी दृष्टि से उसे देखते तो उसे बेहद ख़ुशी होती। 

बालपन की तर्क शक्ति -

एक दिन मॉरल की क्लास में मेम ने एक लेसन में समझाया कि मनुष्य ने अपनी ख़ुशी के काम के साथ ही ऐसे काम भी करने चाहिए जो दूसरों को भी ख़ुशी देते हैं। तब उसका मन यह तौलने लगा कि वह कौनसे काम करती है जो दूसरों को भी खुश करते हैं।बाल सुलभ, मस्तिष्क को विचारणीय क्षमता बहुत नहीं होती, उसे लगता वह जब मॉडर्न/स्टाइलिस्ट कपड़े पहनती है तो उनमें उसे देख कितने सारे लड़के खुश होते हैं. उसे लगता यह काम वह 'मॉरल लेसन' के अनुरूप करती है। 

हँसी-ठहाकों में बताई बातें प्रशंसा जैसे लेता है बाल मन  -

मॉरल के बारे में अपने इस काम की बात सौंदर्य ने मम्मी को जब बताती तो मम्मी बहुत हँसती और हँसते हुए सादगी घर में और अपनी फ्रेंड में ये बात बताती तो दूसरों को भी सौंदर्य इस पर ठहाके लगाते हुए देखती। इन हँसी-ठहाकों को सौंदर्य का बालमन, स्वयं की प्रशंसा जैसा समझता । इस तरह से अनेक तरह के मॉडर्न वस्त्र की माँग वह रखती, अपने काम में अति व्यस्त पापा उसे दुलार करने का समय कम ही दे पाते थे अतएव उससे लाड़-दुलार की भावनावश, बेटी की ख़ुशी को उसे ऐसे कपड़े ला देते थे.

किशोर वया बेटी के मनोविज्ञान एवं - समाज में व्याप्त छल के प्रति माँ की सजगता- 

हाई-स्कूल, कक्षा दर कक्षा उसकी ख्याति बढ़ते जा रही थी। आधुनिक कपड़े, सुंदर नयननक्श एवं किशोरवय का नया नया शरीर युवावस्था की दहलीज पर नारी तन के उभारों को पुष्ट करता जा रहा था।  यह सब विशेषकर लड़कों एवं बड़ी वय के पुरुषों में भी उसे ज्यादा लोकप्रियता दिला रहा था। अपने में सबकी रूचि उसे अपने प्रति प्यार प्रतीत होती थी। उसके सहपाठी लड़के उससे अपनी प्रेमासक्ति (Crush) प्रदर्शित करते, वह सब कुछ उसे अत्यंत प्रफुल्लित करता। हालाँकि सब में अपने प्रति प्यार अर्जित करने की धुन सवार उस पर थी, किंतु अनेक लड़कों की ओर से दर्शाये जाते प्रणय निवेदनों पर सौंदर्य, उन्हें प्रोत्साहित नहीं करती।  अपने पीछे पुरुषों का यह मजमा उसे सुहाता तो बहुत था, किंतु मम्मी की इन सब के प्रति सजगता और परामर्श, उसे किसी फुसलावे में आने नहीं देते थे। इस बीच पास-पड़ोस और स्कूल में परंपरागत सँस्कारों और रीति-रिवाज के पोषक उसकी आधुनिक पोशाकों को लेकर उसके बारे में ख़राब और गंदी टिप्पणियाँ भी करने लगे थे जो कभी कभी उस तक पहुँच जाती थी. प्रारंभ में उसे ये बातें परेशान करतीं फिर "औरों का काम है कहना" एवं "जिस ज़माने को हमारी परवाह नहीं उसकी हम क्यों परवाह करें"  इन उक्तियों का स्मरण करते हुए वह ऐसी सब कानाफूसियों को दिमाग़ से झटक देती.

बारहवीं कक्षा में सोशल साइट्स में सादगी से परामर्श अनुरूप उचित सेटिंग सहित सौंदर्य ने अपनी आईडी बनाई थी और कुछ अपने आधुनिक परिधानों में कुछ फोटो एल्बम उसने अपलोड किये थे। सौंदर्य को यह देख सुखद आश्चर्य हुआ कि कुछ ही सप्ताहों में उसके फॉलोवर, लाख का अंक छूने लगे थे। 

सयानी हो रही बेटी एवं पापा के मध्य पारदर्शिता-

तभी पापा 'सजग' ने अपनी व्यस्तता में भी अनुभव कर लिया कि आजकल बेटी कुछ ज्यादा ही वक़्त अपने मोबाइल पर होती है। उन्हें इस सच का बोध था कि यूँ तो बेटे की तुलना में बेटियाँ ज्यादा सरल एवं आज्ञाकारी होती हैं किंतु बेटी के किशोरवय में ज्यादा सजगता से उसे भले बुरे का ज्ञान कराना पालकों का दायित्व होता है. यहाँ बेटी के जीवन की सही दिशा दे देना हमारे कम खुले सामाजिक परिवेश में उसे अनावश्यक अपमान/चुनौतियों से बचा सकते हैं। इन विचारों ने उन्हें प्रेरित किया कि कुछ दिन बेटी को दिए जायें। उन्होंने 'सादगी' (सौंदर्य की मम्मी), एवं सौंदर्य के साथ राजस्थान भ्रमण की एक ट्रिप बनाई। भ्रमण में प्राकृतिक सुंदरता का आनंद लेते हुए सजग ने चतुराई से सौंदर्य (आभास दिए बिना कि उसका परीक्षण कर रहे हैं) से हँसी-मज़ाक और स्नेहयुक्त संवादों में अपनी कई जिज्ञासाओं की गोपनीय पुष्टि कर ली। फिर ट्रिप के बीच एक दिन सौंदर्य से सजग ने सीधे पूछा - सौंदर्य आप मोबाइल पर किन चीजों के लिए इतना वक़्त खर्च करती हैं? तब सौंदर्य ने सोशल साइट्स और अपने फॉलोवर की विशाल सँख्या के बारे में सहज गर्वोक्ति में बताया। सजग ने तब उससे पूछा कि क्या उसके आई-डी पासवर्ड वह शेयर कर सकती है? सौंदर्य ने बेझिझक, इसकी हामी करते हुए सजग को सब बता दिये। अपनी आधुनिक सी दिखने वाली बेटी की इस बेबाकी और पारदर्शिता ने सजग और सादगी दोनों को प्रभावित किया। ट्रिप खत्म करने तक सजग ने सौंदर्य के सोशल साइट्स के सारे विवरण देख डाले। उसकी फेसबुक तथा अन्य साइट्स की सेटिंग यथा अपरिचितों के कमेंट,मैसेंजर और टैगिंग आदि कि परमिशन सही सेट हैं, पुष्टि करली. सजग को सौंदर्य के परिचितों के उसके पोस्ट हर फोटो पर टिप्पणियाँ बेहद गरिमामय देखने मिले। उन्होंने सौंदर्य से इस बात की तारीफ की। सौंदर्य ने इस पर बताया कि उसके परिचित/अपरिचित फ्रेंड्स को यह संदेश भली-भाँति ज्ञात है कि उसकी सूची में उनका समावेश तभी तक है जबकि वे उससे गरिमा का व्यवहार रखें। इस पर हँसते हुए उन्होंने प्रशंसा में बेटी के कंधे थपथपाये। इन सबसे उन्हें बेहद राहत हुई कि अपनी व्यस्तता में बेटी के तरफ से बेपरवाह रहने और बेटी की खुलेपन के लालन पालन के बावज़ूद उनकी बेटी के विचार, मनोदशा एवं जीवन दिशा अत्यंत सधी हुई है। इसके लिए निजी संवाद में उन्होंने पत्नी सादगी की प्रशंसा की जिन्होंने बेटी को भले-बुरे का समुचित ज्ञान कराते हुए उसे बड़ा किया है।

बड़े होते बच्चों को घर में ही माँ-पिता की मित्रवत मौजूदगी, बच्चों का भविष्य सुनिश्चित करता है -

राजस्थान भ्रमण के समाप्ति यात्रा में कार में उन्होंने सौंदर्य से कहा- सौंदर्य, आपका पापा होने का मुझे गौरव है, आप बड़ी हो गई हो, मम्मी तो आपकी मित्र हैं ही, अब मुझे भी आप अपना पापा कम, फ्रेंड ज्यादा समझते हुए सभी तरह की बात की चर्चा कर सकती हो। आज, हम दोनों से बड़ा आपका शुभेक्छु कोई नहीं है। सौंदर्य जो कार में पापा के साथ अगली ही सीट पर बैठी थी ने पापा के अनुराग को अनुभव करते हुए अपना सर साइड से उनके कंधे पर रखा इन भावुक पलों में पापा ने कार की गति धीमी की, और दुलार से अपना एक हाथ स्टेयरिंग पर रखे हुए दूसरे हाथ से उसके सिर और चेहरे पर स्नेहयुक्त थपकी दी और सौंदर्य के माथे पर हल्का चुंबन दिया।

--राजेश चंद्रानी मदनलाल जैन
14-06-2019

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