Thursday, June 20, 2019

तन पर हो लिबास पूरे, कतई अब जरूरी नहीं
लब पर सच्ची न सही, मुस्कान इक जरूरी है

किसे पड़ी कि देखे, हँसने को तेरे पास ख़ुशी है या नहीं
रोनटा न समझे ज़माना, ख़ुद ही झूठे मुस्कुराना होगा

गलतफ़हमी के बेहद कमज़ोर लम्हें होते हैं जब
कोई समझता कि उसके बिना वह जी न सकेगा

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