Friday, June 21, 2019

न खड़ा हो किसी दर पर सवाली होकर
न रख दिल में कोई मुराद मजबूर होकर
दिया बिन माँगे कुदरत ने बहुत है तुझे
ले ज़िंदगी का लुफ्त तू खुद्दार होकर

आज नहीं चल तू फिर,
सिर्फ अपनी हसरतों को लेकर देख तेरे बहुत से फ़र्ज़, तुझे ज़िंदगी में निभाने हैं अभी

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