Friday, June 14, 2019

जो दिल में होती हर बात लिख देना भी मुनासिब तो नहीं
जो करने की चाह हर बात कर लेना भी मुनासिब तो नहीं

मोहब्बत में खेल लेना भी कम खुशनसीबी तो नहीं
हारे, तो मोहब्बत की खातिर हुई - जीते, तो मोहब्बत से ख़ुशी भी मिल गई

कोई ज़ागीर नहीं वह कि उसे
कोई पा लेता या खो देता है
हाँ जरूर, वक़्त होता जब ख़ुद पर
वह किसी को हक़ दे देता है

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