ख़ुदकुशी का ख्याल किसी का 'राजेश', यूँ मुफ़ीद नहीं
ग़र न हुई वो दुनिया बेहतर, फिर वहाँ क्या करेगा वो
जां है जब तक इस जिस्म में, आप बनाओ ये जहां बेहतर
कि जो यहाँ आने की कतार में हैं, मिले उन्हें ये जहां बेहतर
हिस्से में आई ज़िंदगी जितनी, हमें पूरी जीना चाहिए
गर न हो हिस्से में ख़ुशी, औरों की ख़ुशी बनना चाहिए
ग़र न हुई वो दुनिया बेहतर, फिर वहाँ क्या करेगा वो
जां है जब तक इस जिस्म में, आप बनाओ ये जहां बेहतर
कि जो यहाँ आने की कतार में हैं, मिले उन्हें ये जहां बेहतर
हिस्से में आई ज़िंदगी जितनी, हमें पूरी जीना चाहिए
गर न हो हिस्से में ख़ुशी, औरों की ख़ुशी बनना चाहिए
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