Monday, November 5, 2012

 वक्तव्य -----
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                      सभी आयु वर्ग के लोग और वह भी एक मनोरंजन के लक्ष्य से उपस्थित ऐसे में उदबोधन की औपचारिकता के दुष्कर कार्य , मै  निभाने की कोशिश करता हूँ , अगर शांति से सुना जाता देखूंगा तो १० मिनट तक लूँगा .

                    विषय  बच्चे और आज की चुनौतियां लेकर कहूँगा .......   बच्चे भी हैं , और उनके भविष्य संवरता देखने वाले माता-पिता और बड़े भाई और बहिन भी हैं... परिवेश मध्यम वर्ग  अधिकतर का है . बच्चे के आगामी जीवन का सपना इससे बेहतर उच्च वर्ग में जीवन यापन का है . उन्नति बुरी नहीं है . महत्वाकांक्षा उन्नति दिला सकती है . पर अति महत्वाकांक्षा कई समस्याएँ उत्पन्न कर सकती हैं .घर में गाइडेंस कहीं पर्याप्त है . कहीं व्यस्ततावश बच्चे की इस आवश्यकता को समझ नहीं पाने से इस बात के लिए बच्चे मित्रों और अन्य साधनों से जुटाने का यत्न करते हैं .जो धोखा न दे और सच में हितैषी है वह तो घर-परिवार में ही होते हैं .  भाग्यशाली हम हों तो कुछ सच्चे शुभ-चिन्तक   बाहर भी मिलते हैं . पर वे वास्तविक    शुभ-चिन्तक हैं या नहीं कई बार धोखा खा चुकने के पहले तक तय नहीं हो पाता . ऐसे हालातों में क्या करे बच्चा ? उसे तो बड़ा बनना हैं . ऐसी स्थिति में बच्चे वह करने लगते हैं जो अन्य सब भी कर रहे हैं . अर्थात कुछ भी वह सिर्फ इसलिए करते जाते हैं क्योंकि उनके साथ पढने वाले और मित्र करते हैं . मै भी यही कहूँगा जी हाँ, कीजिये तैयारी अच्छे चिकित्सक , ca  , अधिवक्ता या इंजिनियर और सफल व्यवसायी बनने की . इस हेतु जाइये कोचिंग , कीजिये नेट ,रखिये मोबाईल और बाइक भी , यदि घर की आय पर्याप्त हो तो . पर ध्यान रखिये , अच्छी हर चीज के साथ अरुचिकर या हानिकारक  भी कुछ  होता है . आधुनिक हर साधन में ढेरों गुण हैं तो उनके सही प्रयोग न करने के ढेरों नुकसान भी हैं . इसे एक उदाहरण से समझना होगा . आम सभी को अच्छा लगता है . लेकिन जब आप आम खाते हैं तो उसका छिलका नहीं खाते ,खाने के बाद गुठली अलग कर देते हैं , और खाते हुए इस बात का ध्यान भी रखते हैं  कि सडा खाने में ना आ जाये . आशय साफ है आम अच्छा होता है तब भी उसमे से भी हमने लाभदायी और मीठी लगने वाला अंश ग्रहण किया है . इसी तरह सभी आज अच्छे साधन प्रयोग कर रहे हैं . पर उन साधनों का लाभदायी और प्रगति दिलाता ढंग ही हमें उपयोग करना चाहिए . 

                           मोबाईल ही लें .. जरुरत से ज्यादा बातें बिल बढ़ाएगी , साथ ही समय भी खर्च होगा . फालतू के sms ध्यान भी भटकायेंगे. नेट पर .. जानकारी के साथ vulgarity बहुत उपलब्ध है . जो उपयोगी ज्ञान /जानकारी  की तुलना में आसानी से नेट पर उपलब्ध मिल जाती है . parents समझ रहें हैं बच्चे नेट पर सीख रहे हैं . जबकि बच्चे समय और चरित्र गवां रहे होते हैं .
                         कॉलेज /कोचिंग और स्कूल में पढने की कम फ़िक्र करते हैं  लड़के /लड़कियों के पीछे भटकते पिछड़ जाते हैं .... फिर  चाहने पर भी उनसे विवाह करने अच्छे रिश्तों का  अभाव होता है.   इन सबसे बचाते यदि हर साधन चाहे कोचिंग/स्कूल या कॉलेज हो .... नेट हो .. मोबाईल हो का उपयोग आम के सेवन जैसी सावधानी से किया जाये तो हमारे बच्चे सिर्फ हेड़ चाल को follow  न करते हुए हर साधन का लाभदायी अंश ग्रहण कर सकते हैं और सड़े और अलाभकारी हिस्से से दूर रहकर ऐसा    लक्ष्य प्राप्त कर सकते हैं , जहाँ उनका स्वयं का स्वप्न तो पूरा होता ही है . साथ ही उनकी सफलता वृध्द हो चले  उनके माँ पिता को वह गौरवमयी अनुभूति देता है  . जिस से उनके अशक्त होते शरीर और मन में नयी चेतना और आत्मविश्वास भर देता है . उनका जीवन और स्वास्थ्य बच्चे की उपलब्धियों से बढ़ता है . फिर बच्चों को जीवन साथी उन में से चुनने का विकल्प होता है जिनके पीछे अन्य भागते हुए पिछड़ गए होते हैं . पीछे भागने वालों से दूर हो ये आपको वरण करने के इक्छुक मिलते हैं . 

                 आप सभी ने जो दस कीमती मिनट दिए हैं उसका आभार व्यक्त करते हुए सिर्फ इतना अनुरोध करता हूँ ...... आधुनिक हर साधन और वस्तु लाभकारी तो है  पर तब ही जब हम उसके अलाभकारी हिस्से को आम भांति उसके  छिलके /गुठली और यदि कोई सडा हिस्सा हो तो उसे पृथक करते हुए सिर्फ लाभकारी अंश का सेवन कर अपना व्यक्तित्व निर्माण करें .

                 इसमें स्वयं का , परिवार    का  , सर्व समाज का , देश का और सर्व मानवता का उपकार होने वाला है. क्योंकि तब आप वह विभूति बनते हैं जो दूसरों को भी सच्चा  पथ-प्रदर्शन दे सकते हैं

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