Friday, May 4, 2012

साधारण वेशभूषा में महामानव

साधारण वेशभूषा में महामानव

                                                                 किसी भी वक्ता ,प्रवर्तक महामानव या दर्शनशास्त्री द्वारा जब मंच से अच्छी बातें अच्छे विचार कहे या समाचार पत्र ,पत्रिका या किताबों में लिखा जाता है या इलेक्ट्रोनिक साधनों से हम तक पंहुचाया जाता है तो वे बहुत आशावादी नहीं होते हैं की हरेक श्रोता सुनाने के बाद बहुत जल्द उसे अपने आचरण में ला सकेंगे.क्योंकि प्रत्येक मानव को सोचने समझने के अलग संस्कार,परिवेश और शिक्षा मिली होती है .जिससे वह अपने खुद के द्रष्टिकोण एवं कर्म रखते हैं .मिलने वाले नए उपदेश एवं विचारधारा से मिलती जुलती सोच उनमे है तो ऐसी बातों का तुरंत प्रभाव उनपर पड़ता है किन्तु उनकी मान्यतों में अंतर ज्यादा हो तो सुने/पढ़े गए उपदेश /विचार तुरंत ग्रहण वे नहीं कर पाते हैं.लेकिन शिक्षा/उपदेश दे रहे व्यक्ति के विचार यदि ऐसे में चिंतन/मनन के लिए स्वीकार कर लिए जाते हैं उपदेशक को संतोष ही होगा.और उनका लेखन/कथन व्यर्थ नहीं जाता है.लोकप्रिय कहानी/सुप्रचारित घटनाएँ और विद्वानों ,महामानवों के जीवन के अंश के माध्यम से भी अच्छे विचार ,कथन और शिक्षा दी जा सकती है. लेकिन बिलकुल ही सामान्य घटनाओं से जो दैनिक जीवन में अक्सर देखी और घटित होती हैं के माध्यम से अच्छे आचरण और उच्च आदर्शों की प्रेरणा दी जावे तो यह शैली उन विवादों से परे होती हैं जो प्रसिद्ध कहानी/घटनाओं और महामानवों के प्रति पहले से पूर्वाग्रहों के कारण सुनाने /देखने वालों के मन में जन्म सकती हैं.
                                                        हम अपने आसपास स्वच्छ किन्तु साधारण वस्त्र और जूतों में बहुत और ब्रांडेड और कीमती वस्त्र और जूतों कुछ मानवों को पाते हैं.ऐसे कुछ मानवों से हम जल्द प्रभावित होते हैं किन्तु साधारण वस्त्र और जूतों में बहुतों को हम ज्यादा गंभीरता नहीं अनुभव करते हैं .हमें यह आज विचारना है की क्या ये भी ब्रांडेड और कीमती वस्त्र की अभिलाषा नहीं रखते होंगे ?बिरले उत्तर ही ना में मिलेंगे .तब क्या कारण होते हैं कि अधिकांश साधारण परिधोनों को विवश होते हैं. वे कारण हो सकते हैं कि किसी के पास कम धनार्जन का ज्ञान ,प्रतिभा और क्षमता हो,कोई कमा तो ठीकठाक लेता हो पर ज्यादा के (माँ,पिता सहित ) उदरपोषण का दायित्व निभा रहा हो, किसी का अपना गंभीर बीमारी से पीड़ित हो या चोरी लूट या छल के कारण अपना धन,वैभव गवां बैठा हो ,या धन कमाने में उच्च आदर्शों से समझौता ना करता हो .इन किसी भी कारण से  सिर्फ परिधानों कि भिन्नता से कोई कम सम्मानीय नहीं हो जाता है .ऐसे में यदि हमारे व्यवहार से दुखी और उपेक्षित हो अनैतिकता ,भ्रष्ट और बेईमानी से धन उपार्जन को कोई प्रवत्त हो जावे तो मानव समाज का भला नहीं होता.बल्कि मानव असुरक्षा और अशांति बढ़ने के आशंका ही जन्मती है. हमें सावधान रहना चाहिए कि ऐसी प्रवत्ति समाज में न बढे .हमारे प्रयास और व्यवहार ऐसे हों कि मानवों में जो भी अच्छे गुण विद्यमान हैं हों बने रहे और और बढाने में सहायक हों.बुरी लतों के कारण विपन्नता झेल रहे गरीबों को सम्मान न कर सकें तो ना सही पर उनसे सहानुभूति रख उनकी बुराई हटाने के उपाय हमें करने चाहिए.
                                        बहती सरिताओं  में  जहाँ तहां से अशुद्ध जल आ समाता लेकिन जलधाराओं ,प्रवाह में रहकर वह छनता जाता है और अशुद्धियाँ तलहटी में समां कर रेत और मिटटी में समां दूर हों जाती हैं.हमारा मन सरिता कि भांति है अशुद्ध और बुरे विचार ,आचरण  इसमें जहाँ तहां से घर कर ले सकते हैं. हम यदि मनन और चिन्तनशीलता का प्रवाह अपने ह्रदय में चलाते रहें तो सरित प्रवाह के जल सद्रश्य हमारे विचार ,आचरण निर्मल होते हैं.बुराई हमारे अंतर में जा विलोपित होती हैं.वृष्टि के अभाव में या ग्रीष्मकाल में सरिता में जल प्रवाह कम हो जाने पर प्रवाह हीनता  में जल अशुध्दता बढ़ जाती है ,उसी तरह विचारों के प्रवाह अवरूध्द होने से मन मलिनता बढती है .अतः अच्छे मानवीयता के विचार का प्रवाह निरंतर बनाये रखना चाहिए.
                                  हम प्रुबुध्द्जन अपने विवेक ,मनन और चिन्तनशीलता से वर्तमान समाज में आ गयी असुरक्षा और अशांति को दूर करने के प्रयास और उपाये कर सकते हैं. चूँकि खराबी की जड़  गहराई में पंहुची हुयी है अतः कुछ या एक दो के प्रयासों से इसका खात्मा नहीं हों सकता .सामूहिक प्रयासों से इसे थोड़ी दीर्घ अवधि में हटाया जाना संभव होगा . हम नहीं तो क्या हमारी सन्ततियां तो ज्यादा खुशहाल हों सकती है.
                                 आप मैं और अधिकांश मिल, विचारों का, आचरणों का ,जाग्रति का प्रचार और प्रसार करें ऐसी अनुकरणीय मिसालें दे सकने में समर्थ हों तो हमारा जीवन अकारथ न जावेगा. हम आने वाली संततियों के सही मायनों में माँ और पिता होंगे. और वे सुरक्षित और शान्ति के वातावरण में जीवन जियेंगे.

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