Tuesday, July 24, 2018





विश्वसनीय हुए बिना - हम कहीं भी खुश नहीं
हम ही क्या - हमसे कोई , कभी भी खुश नहीं

#जबलपुर_और_बारिश
इस बारिश में हम - बीज सौहाद्र के लगायें
जिससे उगे पौधे - ख़ुशहाल समाज बनायें

#नफ़रत_का_पलीता_न_लगाओ
अग्नि ही देनी है तुम्हें - तो उन चूल्हों में दो
जहाँ ना जलने से चूल्हा - बच्चे भूखे सोते हैं

#लिहाज़
छोटा सा इक दिल तुम्हारा - ख़्वाहिशें कुछ छोटी छोटी
ज़िंदगी के नज़रिये से उनका - हम लिहाज़ किया करते हैं

#विदाई_इवेंट
अनायास नयनों में उनके - मूक अश्क छलक आये
ज़िंदगी शुक्र गुज़ार रहेंगे - खूब हमें तू ऐसी मिली

खुद को रहे दर्द को भी - मैं किस्मत होना लिख दूँगा
इसे भोगने के बाद - किसी के दर्द को गर समझ लूँगा

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