Monday, July 2, 2018

काश तू पुरुष नहीं - हिजड़ा होता

काश तू पुरुष नहीं - हिजड़ा होता

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तू शराब पीकर घर आया था , तूने सो चुके दो बच्चों की परवाह नहीं की थी। तू बारात लेकर जिसे ब्याह कर अपने घर लाया था उस पत्नी का आदर नहीं रखा था। तू उसे बेरहमी से पीट रहा था , गंदी गालियाँ दे रहा था। पाँच वर्षीय तेरी बेटी इस शोर से जाग गई थी। माँ को पिटता देख उसने तुझे , मारने से मना किया था - तू सो जाये ऐसा निवेदन किया था। तू नशे में हिंसक जानवर हुआ था। तूने उस अबोध मासूम बेटी को इस बुरी तरह मारा कि उसके कान-आँख से रक्त निकल आया। अस्पताल पहुँचने पर उसे मृत बताया गया था।

तूने कैसे भुला दिया कि वह बेटी तेरे ही माध्यम से , तेरी पत्नी के गर्भ में आई थी. उसने गर्भ में पीड़ाजनक नौ माह गुजारे थे। उसे गर्भ में पालने और प्रसव देने के लिए तेरी पत्नी की कई दफे जान पर बन आई थी। सब तकलीफों के बाद आखिर उसने तेरे घर जन्म लिया था। जितनी पीड़ा उसने जन्म लेने के पहले भुगती थी उस कष्ट के एवज में बेचारी वह 70 - 80 वर्ष का पूरा जीवन जी लेने की अधिकारी थी। तूने पाँच वर्ष की उस कमजोर बेटी और अपनी आश्रिता पत्नी पर अपनी मर्दानगी (शूरवीरता) दिखाई थी। एक की जान ले ली थी , एक की नजरों से तू गिर गया था।

काश तू पुरुष नहीं हिजड़ा होता , ना तेरी पत्नी होती और ना ही तेरे घर बेटी सिर्फ पाँच वर्ष जीने के लिए पैदा होती। पाँच वर्ष की उम्र जीवन क्या है समझ नहीं पाती है। तेरे जैसे दुष्ट ने पाँच वर्ष में ही उसके जीवन का खात्मा कर दिया। काश तू पुरुष नहीं हिजड़ा होता ..

 
--राजेश चंद्रानी मदनलाल जैन
02-07-2018

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