प्रिय , इक तुम्हारी ही नहीं सब की फ़िक्र करते हैं
इंसानियत के रिश्ते में - इंसान सभी मेरे अपने हैं
फ़िक्र हम ही नहीं उनकी - वे हमारी फ़िक्र करते हैं
खुद को और हम को भी - जो इंसान समझते हैं
होने दो ब्लड प्रेशर - हो जाने दो डाईबिटिज
फिक्र तो करनी होगी - खतरे में है इंसानियत
आने दो निकट अवसान अपना - भोगी नहीं रह सकते
अपने लिए जीने से ज्यादा जरूरी - औरों के लिए जीना है
सही तो हर कोई खुद को मानता है
दुःख मगर यह कि सही होता नहीं
इंसानियत के रिश्ते में - इंसान सभी मेरे अपने हैं
फ़िक्र हम ही नहीं उनकी - वे हमारी फ़िक्र करते हैं
खुद को और हम को भी - जो इंसान समझते हैं
होने दो ब्लड प्रेशर - हो जाने दो डाईबिटिज
फिक्र तो करनी होगी - खतरे में है इंसानियत
आने दो निकट अवसान अपना - भोगी नहीं रह सकते
अपने लिए जीने से ज्यादा जरूरी - औरों के लिए जीना है
सही तो हर कोई खुद को मानता है
दुःख मगर यह कि सही होता नहीं
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