Sunday, July 15, 2018

निराला जैव यौगिक

निराला जैव यौगिक
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जिसे माँ-पिता कहा , उनके निमित्त से एक रूह का एक तन में संयोग , फिर नौ माह तक उसका गर्भ में बढ़ना।  फिर एक समय दुनिया में अवतरित होना।  कुछ सगे संबधियों कुछ परिचितों में और एक विशाल जनसँख्या में एक होकर , नवजात , बचपने , किशोरावस्था , युवा और बूढ़े होकर फिर किसी समय सबसे वियोग होना , इसे एक जीवनकाल कहना।
जीवनकाल में संयोग और वियोग से अनेकों से मिलना-बिछुड़ना , अपनी मिली क्षमताओं और अपने विवेक से कुछ पुरुषार्थ / कर्मों को निष्पादित करना। कोई भी मनुष्य इन सब से एक बिलकुल ही निराला जैव यौगिक होता है।
एक सा शरीर तो रूह अलग , एक रूह और वैसा ही शरीर और वही सगे संबंधी तो काल अलग। वही रूह , वैसा ही शरीर तो कर्म अलग। अतः समझने वाली बात यह है कि मैं या आप अपने आप में बिलकुल अनूठे और पूर्ण हैं। अरबों ऐसे अनूठे अनूठे मनुष्य हैं मगर सब की क्षमतायेँ समान हैं। हम किसी किसी बहानों का तर्क देकर अपनी पूर्ण क्षमताओं का प्रयोग नहीं करते। जो कुछ हमारे इस निराले अस्तित्व से , सृष्टि को अपेक्षा होती है , हम वह योगदान उसे नहीं देते .
अनादि से अनंत तक हम में से हर किसी का आज का यह जैव यौगिक - हर अन्य किसी से निराला है। किसी पर इसकी कोई निर्भरता नहीं।  किसी की किसी बात की कोई नकल नहीं। किसी भी भाषा , धर्म या जेंडर की कोई पाबंदी नहीं। सब स्वतंत्र हैं अपने तरह से जीवन जीने के लिए , अपनी क्षमता और अपने विवेक से अपने कर्म निर्धारित करने के लिए - सिर्फ एक शर्त के साथ कि किया जाने वाला कोई भी कर्म किसी का सहायक भले ना सिध्द हो किंतु किसी और के अच्छे कर्म की राह को अवरुध्द नहीं करता हो.
बिना किसी का मुहँ देखे , बिना किसी की नकल किये - अपना मौलिक (मगर) सद्कर्म करते चलिए। आप अनूठे (यूनिक) हैं - आपका जीवन भी , जीवन कर्म भी यूनिक ही रहे।

--राजेश चंद्रानी मदनलाल जैन
15-07-2018

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