Tuesday, September 11, 2012

हे मेरे पूज्य पिता आपने

हे मेरे पूज्य पिता आपने

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हर परख , प्रखर प्रतिभा कहती  , हे मेरे  पिता आपकी 

स्वर्ण ,रजत अति  सूक्ष्म परखते , हे मेरे पिता  इसी से  

 

लगा व्यापार  स्वर्ण ,रजत जेवरातों का , हे  पिता आपने

अभाव मिटाए सब अपने परिवार में, हे मेरे पिता आपने

 

दे प्रमुखता श्रेष्ठ शील गुणन की , हे मेरे पूज्य पिता आपने

पितृ खो चुकी एक कन्या से ब्याह रचाया ,पूज्य पिता आपने

 

निमित्त हुए हम बच्चों के  जन्मों   के, हे  पिता आप जब

पूज्य  माँ को मिल गया  गौरव जननी का ,हे पूज्य  पिता जी


बच्चों के सुख को समझ स्वयं का ,हे मेरे पूज्य पिता आपने

किया उचित  लालन पालन सभी का , हे मेरे पूज्यपिता आपने


कर साकार स्वप्न  परिजनों  के , हमें कहते  नहीं कर दिखला कर

दी अनूठी पूँजी उच्च संस्कारों की , हे मेरे पूज्य पिता आपने 

 

तरसते अन्य  यथा संस्कारों को ,हमें मिले जो पूज्य पिता आपसे

सफल कहाते हम भाई बहन हैं ,बनते मिसाल हम भाई बहन हैं

 

हुआ साकार कठिन सा जीवन सपना , करते स्मरण त्याग आपके

है अहसान पूज्य पिता आपका , मिले सभी को पूज्य पिता आपसा


जिससे सफल हो सभी हमेशा ,फिर सीखें बनना सब पिता आपसा

बच्चे करें सम्मान अरु आदर पितासा ,बच्चे क्यों धिक्कारें  तब जाएँ

 

गर मिल जाएँ  संस्कार जब उनको ,बन सकता यह समाज सुखद सा

सब को मिलें गर पिता आपसा , सब को मिलें गर पूज्य पिता आपसा


 
 

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