अटपटा
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कुछ दिनों से ना मिलने के कारण रवि को महाशय के कुशलक्षेम जानने की इक्छा हुई तो वह पुनः आज प्रातः काल भ्रमण स्थल पर पहुंचा . नित्य भांति महाशय भ्रमण में लीन दर्शित हुए . उन्हें एक जगह खड़े हो निहारा फिर रवि वहां एक बेंच पर जा बैठा , जहाँ महाशय अपना
भ्रमण पूर्ण कर चर्चा हेतु उपलब्ध मिलते हैं . कुछ मिनट उपरांत महाशय आ गए.
रवि ने अभिवादन करते कहा ..... महाशय , प्रणाम .
महाशय .... खुश रहो , रवि , कहो .
रवि ... आप बुरा न माने तो एक बात पूछूं , आपसे .
थोड़े अचंभित से , महाशय .... हाँ , हाँ .. अवश्य .
रवि ... मैंने आज आपके टहलने का अंदाज और आपके वस्त्रों पर गौर किया है . आपकी टी शर्ट कुछ छोटी जिसमें से पीछे तरफ आपकी बनियान कुछ बाहर रही है . सामने आपका सीना ठीक तना हुआ था , पर बेल्ट के पास कुछ उभार जो आपका निश्चित ही बड़ा हुआ पेट नहीं है कुछ अटपटा सा द्रष्टव्य होता है . मै कारण जानना चाहता हूँ .
महाशय .... यह आपकी जिज्ञासा मात्र है या प्रयोजन कुछ प्रकाशन हेतु सामग्री तैयार करने का है ?
रवि ... महाशय , क्या इससे आपके उत्तर में कुछ अंतर होगा ?
महाशय .... हाँ , अगर आप प्रकाशित करना चाहते हैं तो पूरी बात प्रकाशित करना .
रवि .... जी ठीक है.
महाशय .... पहले तो यह कहूं , मुझे अपनी एक धारणा बदलनी होगी तुम्हारे प्रश्न से . जो यह थी कि साधारण व्यक्ति क्या और कैसे पहन रहा है इस पर द्रष्टि , व्यस्त आज के समाज में किसी कि नहीं जा रही है.
रवि , मुस्कुराता है .
महाशय .... दर असल , टी शर्ट मुझे टीवी क्रय करते समय , उपहार में मिली थी , लम्बाई थोड़ी छोटी है , पर काम चलाऊ लगी , अतः धारण करता हूँ . पेंट कि बटन गिर जाने से के कारण पेंट कमर पर चैन के लाक से ही कसी है , और दोनों सिरे अन्दर एक बटन तरफ और एक काज तरफ खुले हैं . साथ ही अधो वस्त्र की इलास्टिक ढीली पड़ गयी है जो थोड़ी ऊपर के तरफ बेल्ट के नीचे दबा रखी है .आज बेल्ट लगाया नहीं है अतः शायद टी शर्ट के ऊपर एक उभार सा दिखा रहे हैं.
रवि .... जी पर आप ये चीजें सरलता से नई ले सकते हैं .
महाशय ....... मैंने आपसे पूरी चर्चा प्रकाशित करने को इसलिए कहा है , क्योंकि इतनी तक यदि आप लिखते हैं तो , ईमानदारी पर जिनका विश्वास अभी भी है , वह डिग सकता है , और वह अधिक धनार्जन के चक्कर में , वे बेईमानी को प्रवृत्त हो सकते हैं .
रवि ... जी , सही है .
महाशय .... और हर वस्त्र उद्योग लगाने के लिए , फिर वस्त्र निर्माण के लिए एवं उनकी पैकेजिंग के लिए कितने ही वृक्ष कट जाते हैं , जबकि नए लगाने के दिशा में जागरूकता अब भी कम है .
रवि ... जी , बिलकुल सही है .
महाशय ..... आज का मनुष्य भी चालाक अधिक हो गया है , किसी वस्तु स्थिति को कहाँ तक कहता है और कहाँ चुप्पी साध लेता है , पता नहीं . प्रचार माध्यम पर भी ऐसे कुछ उपलब्ध हैं .
रवि ... जी , सही है .
महाशय ..... ये तो कहे जाने की बात है . सुनने वाला भी वहीँ तक सुन रहा है , जितना स्वयं का स्वार्थ सिध्द करता है . शेष वह भी अनसुना कर रहा है .
रवि .... महाशय , अत्यंत आभार इतना कुछ कहने का , मै पूरी चर्चा ही प्रकाशित करूँगा .
ठीक है कहते हुए महाशय विदा होते हैं और रवि विदा लेता है .........
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