राजेश चंद्रानी मदनलाल जैन
हमारी फेसबुक में पहचान वैश्विक होती है। जिसमें अनेक व्यक्ति ऐसे होते हैं जो हमें फेसबुक के अतिरिक्त, जीवन में कहीं और कभी नहीं मिलने वाले होते हैं।
इसे समझते हुए मैंने अपनी पूरी पहचान स्पष्ट करने के लिए अपनी माँ चंद्रानी जैन एवं पिता मदनलाल जी जैन का नाम अपनी फेसबुक आईडी में लिखा हुआ है।
मुझे ऐसा लगता है कि इनके नाम साथ रखने से, मैं ज्यादा जिम्मेदारी से अपनी पोस्ट कमेंट लिखता हूँ। मुझे जानकारी है कि हम (अगर) खोटे कर्म करते हैं तो उसके गंदे छींटे हमारे पूज्यनीय माँ एवं पिता जी तक पर पड़ते हैं।
वैसे तो ज्यादा परिचित / अपरिचित, मुझे राजेश संबोधन ही देते हैं। लेकिन कभी कभी कुछ अपरिचित व्यक्ति मुझे, चंद्रानी जी या मदनलाल जी भी लिखते हैं। प्रायः इसके लिए मैं, उन्हें टोकता भी नहीं हूँ।
हमारे बाबू जी 2014 में और माँ अभी के लॉक डाउन समय में महाप्रयाण कर चुके हैं। ऐसे में जो अपरिचित, मुझे मेरी माँ या पिताजी के नाम संबोधित करते हैं, वह अनायास मुझे एक गीत की अंतिम पँक्तियां स्मरण करा देते हैं जो ऐसी हैं-
"मेरे बाद भी इस दुनिया में जिन्दा मेरा नाम रहेगा
जो भी तुझको देखेगा तुझे मेरा लाल कहेगा"
यह गीत हमारे बाबूजी को बहुत प्रिय भी था।
🙏
हमारी फेसबुक में पहचान वैश्विक होती है। जिसमें अनेक व्यक्ति ऐसे होते हैं जो हमें फेसबुक के अतिरिक्त, जीवन में कहीं और कभी नहीं मिलने वाले होते हैं।
इसे समझते हुए मैंने अपनी पूरी पहचान स्पष्ट करने के लिए अपनी माँ चंद्रानी जैन एवं पिता मदनलाल जी जैन का नाम अपनी फेसबुक आईडी में लिखा हुआ है।
मुझे ऐसा लगता है कि इनके नाम साथ रखने से, मैं ज्यादा जिम्मेदारी से अपनी पोस्ट कमेंट लिखता हूँ। मुझे जानकारी है कि हम (अगर) खोटे कर्म करते हैं तो उसके गंदे छींटे हमारे पूज्यनीय माँ एवं पिता जी तक पर पड़ते हैं।
वैसे तो ज्यादा परिचित / अपरिचित, मुझे राजेश संबोधन ही देते हैं। लेकिन कभी कभी कुछ अपरिचित व्यक्ति मुझे, चंद्रानी जी या मदनलाल जी भी लिखते हैं। प्रायः इसके लिए मैं, उन्हें टोकता भी नहीं हूँ।
हमारे बाबू जी 2014 में और माँ अभी के लॉक डाउन समय में महाप्रयाण कर चुके हैं। ऐसे में जो अपरिचित, मुझे मेरी माँ या पिताजी के नाम संबोधित करते हैं, वह अनायास मुझे एक गीत की अंतिम पँक्तियां स्मरण करा देते हैं जो ऐसी हैं-
"मेरे बाद भी इस दुनिया में जिन्दा मेरा नाम रहेगा
जो भी तुझको देखेगा तुझे मेरा लाल कहेगा"
यह गीत हमारे बाबूजी को बहुत प्रिय भी था।
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