आशियाना ..
वास्तव में मेरा मानना है कि हर मनुष्य में (सृष्टि) ईश्वर प्रदत्त क्षमतायें अनंत होती हैं। हर अकाल मौत से, मुझे लगता है कोई (आगे चलकर बनने वाला) संभावित- महान वैज्ञानिक, महान समाज सुधारक, महान व्यक्ति, भारत रत्न या नोबल विजेता चला गया।ऐसा विचार करते हुए मुझे, हर अकाल मौत, मानवता को बड़ी क्षति दिखाई पड़ती है। जो मुझे बाध्य करती है कि मैं, ऐसा कुछ प्रेरणास्पद लिखूँ एवं उसे प्रसारित करूँ, जिससे आत्महत्याओं/ मासूमों की हत्याओं की रोकथाम हो सके।
और जब इस हेतु अपना सामर्थ्य सीमित देखता हूँ तो मुझे अवसाद होता है। फिर एक चिड़िया के घोंसला बनाने के पुरुषार्थ पर विचार करते हुए, स्वयं का मेंटर बन जाता हूँ, सोचने लगता हूँ शक्ति अनुरूप छोटा, छोटा कर्म भी एक आशियाना निर्मित कर सकता है। ऐसे "समथिंग इस बेटर देन नथिंग" उक्ति से मेरी, मुझे यह मेंटरिंग, स्फूर्त करती है। तब अपने कुछ मित्रों (जो पढ़ते-कमेंट करते हैं) के लिए नया सृजन /रचना करने के पुरुषार्थ (लेखन) में व्यस्त हो जाता हूँ।
--राजेश चंद्रानी मदनलाल जैन
24-06-2020
24-06-2020
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