Wednesday, October 23, 2013

क्या होता है प्रेम ,क्या होता है जन्मदिन और क्या होता है भारतीय दाम्पत्य

क्या होता है प्रेम ,क्या होता है जन्मदिन और क्या होता है भारतीय दाम्पत्य
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साठ वर्ष पूरे करने पर जन्मदिन के अवसर पर पति ने पत्नी के लिए जो उपहार सोचा और विचार किया वह मिसाल है भारतीय रीति , नीति , प्रेम , अच्छाई और संस्कृति की जिसे देखकर प्राचीन भारत की ओर विश्व आकर्षित होता था .

"मुंबई के 1 पति ( आदरणीय कहें , अनुकरणीय कहें , सच्चे नायक या Hero कहें उचित ही होगा ) ने पत्नी को क्या पसंद आता है उसे ध्यान रख छह सौ एक , नेत्र रोग पीड़ितों के ऑपरेशन का व्यय वहन करने का अनूठा उपहार साठ वर्ष पूरे करने पर अपनी अर्ध्दागिनी को दिया "

धन्य है यह जोड़ी ,दीर्घजीवी हो हमारी हार्दिक शुभकामनायें .

आधुनिक आज के पाश्चात्य चलन में जहाँ स्त्री पुरुष के बीच सम्बन्ध बहुत अस्थ्याई प्रकृति के हो गए हैं . जहाँ विश्वास ही नहीं रह गया कि प्यार कहलाता दैहिक आकर्षण किस दिन और किस छोटी सी अवधि में नापसंदगी में परिवर्तित हो जाएगा . विवाह तो होने ना पायेगा और हो भी गया तो कब बंधन टूट जायेगा या तोड़ लिया जाएगा , वहाँ स्थायित्व के ऐसे प्रेम का उदाहरण निश्चित ही इस पीढ़ी के विचार और अनुकरण का विषय होना चाहिए .
प्रौढ़ावस्था या कहें वृध्द हो चलने के बाद भी प्रेम में वह गर्मजोशी है जिसमें जन्मदिन उपहार के पीछे लाखों रुपये व्यय किये जा रहे हैं . वह भी उस भलाई के लिए जिससे छह सौ एक पीड़ितों के लिए दुनिया अच्छे से देख सकने का मार्ग प्रशस्त होगा ,और निजी सुख कोई भौतिक वस्तु के उपभोग का ना होकर एक अभूतपूर्व सयुंक्त मानसिक प्रसन्नता का होगा .

युवाओं को उन तथाकथित सेलेब्रिटी का अनुकरण त्यागना चाहिए जिनके लिए पुरुष-स्त्री का सम्बन्ध सिर्फ दैहिक सम्बन्ध और मन बहलावे के लिए अल्प काल का होता है . जो अनेकों से बहला-फुसलाकर लालच देकर सम्बन्ध कायम करते हैं ,कहीं छिपे तौर पर कहीं खुले रूप में "लिव इन रिलेशनशिप " का व्यभिचार स्वयं तो करते ही हैं . अपने को बतौर हीरो प्रचारित करवा कर अनेकों फॉलोवर बना कर उन्हें इस दुष्पथ पर चलने की गलत प्रेरणा देते हैं .

अगर हमारा मीडिया अनुकरण हेतु उपरोक्त मिसाल को कवरेज नहीं देता है  तो युवा स्वयं इसे प्रचारित करें और इस प्रसंग से शिक्षा ग्रहण करें .. क्या होता है प्रेम ,क्या होता है जन्मदिन और क्या होता है भारतीय दाम्पत्य जिससे हमारा भारतीय परिवार अटूट होता था  और समाज सुखी और स्वच्छ मानवता का उदाहरण बनता था .

--राजेश जैन
24-10-2011

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