Monday, October 21, 2013

राजनीति और धर्म

राजनीति और धर्म
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राजनीति वह स्थान है जहाँ एक पक्ष होता है और एकाधिक विरोधी पक्ष होते हैं . विरोधी पक्ष सामान्यतः विरोध में तर्क ,प्रचार और बातें करता है . आदर्श राजनीति में अगर राष्ट्रहित ,समाजहित या मानवता को पुष्ट करने की नीति प्रस्तुत या पालन की जाती हों तो विरोधी भी उसका विरोध ना कर उसकी प्रशंसा करते हैं . लेकिन हमारा समाज या राष्ट्र भोगोपभोग प्रधान आधुनिकता और आडम्बरों के वशीभूत आदर्शों से दूर होता जा रहा है . ऐसे में आदर्श राजनीति भी इतिहास मात्र ही रह गया है . यहाँ स्वयं या अपने पक्ष में पाने की अपेक्षा ही प्रधान होती जा रही है . जो कुछ किसी को देने की चर्चा और प्रचार होता है वह मात्र बाध्यता और ऐसा दिखने का अभिनय ही होता जा रहा है .

इसके विपरीत धर्म वह स्थान है जहाँ पाने और देने दोनों की अपेक्षा बराबर होती है . यहाँ अपने लिए जीवन और परलोक में सुख की अपेक्षा होती ही है . अन्य को भी ऐसा ही सुख मिले यह भी भावना होती है . यहाँ दान और त्याग भी बराबर उत्साह और प्रसन्नता पूर्वक किया जाता है . आलोचनाओं से बचा जाता है और आलोचना दूसरे के स्थान पर स्वयम के आचरण और कर्म में ढूँढी जाती है .

ऐसे में राजनीति जब आदर्श से दूर हो गई है तब धर्म का उल्लेख और विरोध के लिए किसी धर्म के किसी अंश का आश्रय लेकर अपने पक्ष के तरफ पलड़ा झुकाने का प्रयास वास्तव में समाज और राष्ट्र के लिए हानिकर होगा . धर्म तो मानो या ना मानो धर्म ही रहेगा किन्तु आधे अधुरे प्रचार और तर्क से व्यस्त और भोगोपभोगपूर्ण आधुनिकता में लिप्त नई पीढियों में जिसे धर्म के अध्ययन की रूचि और समय कम पड़ रहा है अपने या अन्य धर्म के विषय में भ्रम पूर्ण ज्ञान ही मिलेगा . ऐसे में "धर्म जो अब तक परलोक और लोक सुधार की हमारी आस्था और श्रध्दा के कारण हमारे आचरण और कर्म इस तरह से नियंत्रित करता और करवाता था जिससे समाज और परिवार संरचना सर्व हितकारी होती थी  " ,वह प्रभाव आगामी पीढ़ियों पर से खोता जाएगा .

राजनीतिग्य अपने को ,अपने दल को अन्य पर श्रेष्ट साबित करने के लिए चाहे जो करें किन्तु धर्म के धूर्तता पूर्ण उपयोग ना करें तो उचित होगा अन्यथा आगामी स्वयं की पीढ़ियों के लिए भी सद्प्रेरणा और सदविचार देने वाले धर्म महत्त्व और उपयोगिता के लिए प्रश्न चिन्हित होने लगेंगे . तब परिवार परिवार और समाज समाज नहीं बचेगा और मनुष्य जीवन हर तरफ अविश्वास और असुरक्षा में तनावों और चिंताओं में ही बीता करेगा .

--राजेश जैन
22-10-2013

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