Friday, October 11, 2013

लौटायें मिली निधि मातृभूमि से ,ये ही महानता है

लौटायें मिली निधि मातृभूमि से, ये ही महानता है
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नहीं संदेह योग्यता पर उनकी
नहीं शंका लगन -प्रतिभा पर भी
गौरव राष्ट्र को उनकी उपलब्धि पर
हतप्रद कर पाश्चात्यजनों पर ,जड़ती जो चुप्पी है

उनने खर्चे पच्चीस वर्ष अपने यौवन के
और दिया बहुत मनोरंजन भी
बदले इस खर्चे और मनोरंजन के
दिया राष्ट्र ने स्नेह ,सम्मान अभूतपूर्व है

खाते -पीते कुल से वे थे
वैभव मिल गया इतना अब
खाने -पीने से निश्चिन्त जिससे
आगामी कई पीढियां उनकी है

लेलें विदाई अवस्था आई विदा होने की
रिक्तता पूर्ति होगी कोई नई प्रतिभा से
आधा जीवन निकला इस तरह
जो खोया, पाया उससे कई गुना है

पाया बहुत ,आई बारी लौटाने की अब
धन है बहुत ,ना भागें अब धन के पीछे
ना करें विज्ञापन पाश्चात्य बढ़ावे के
संस्कृति प्रति लायें जागृति आज ,ये आवश्यकता है

परखें स्वयं सामर्थ्य अपना
बना सकें तो बनायें वातावरण ऐसा
जी सके प्रत्येक स्वाभिमान से जिसमें
लौटायें मिली निधि मातृभूमि से ,ये ही महानता है

--राजेश जैन
12-10-2013

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