Wednesday, August 14, 2013

विशिष्ट पहचान (Special Identity)

विशिष्ट पहचान (Special Identity)
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एक कॉलेज से निकले नए युवा की नियुक्ति (रिक्रूटमेंट) जिस कंपनी में हुई .वहां मिली महत्वपूर्ण जिम्मेदारी से प्रफुल्लित होने के साथ हे उस दायित्व (Responsibility ) की कठिनाई की कल्पना  से वह स्वयं को भयाक्रांत (Fearfulness) भी अनुभव करता है . किन्तु वह सकारात्मक चिंतन (Positive thinking) का सहारा ले  तो दायित्व निभाने में निश्चित (Certainly) सफल ही होगा .

हम जहाँ -तहां सुनते देखते हैं कि फलाने (Somebody) ने यह कार्य बहुत अच्छा किया .फलाने (Somebody) ने ऐसी सफलता (Success) पाई जिसे परिवार में कोई ने नहीं पा सका था . या फलाने (Somebody) ने ऐसी उपलब्धि (Achievement) हासिल की जो विभाग या शहर में कोई दूसरा प्राप्त नहीं कर सका था .
वास्तव में इन सब पर गंभीरता से गौर किया जाए तो उसमें एक तथ्य (Fact) स्पष्ट रूप से दृष्टव्य ( could be seen clearly ) होगा .वह है "कोई किसी कार्य को करने में सफल तब होता है जबकि उसे उस कार्य को करने का अवसर(Opportunity)  दिया जाता है  (मिलती है )" . अर्थात किया गया कार्य कोई और भी कर सकता था यदि उस "कोई और" को वह कार्य करने का अवसर(Opportunity ) मिलता .

दरअसल नवयुवा एक जैसी शिक्षा (Degree) प्राप्त कर एक जैसी पद (Post ) पर किसी कंपनी /विभाग (Department) में पदस्थ (Placement ) होने में सफल होते हैं . अतएव सबमें  लगभग समान प्रतिभा (Talent ) होती है . ऐसे में अलग अलग तरह का दायित्व (Work Distribution) नियोक्ता (Management) द्वारा तय किया जाता है . कुछ भाग्यशाली (Lucky ) ज्यादा महत्वपूर्ण (Important ) और चुनौतीपूर्ण (Challenging) दायित्व (Responsibility ) पा लेते हैं . जिसे सफलता से निभा लेते हैं .तब कहा जाता है फलाने (Somebody) ने बहुत कठिन कार्य (Assigned difficult task) कर लेने में कामयाबी पाई है .

वस्तुतः उस के अतिरिक्त उसी टीम में से कोई अन्य भी यह दायित्व पूरा कर सकता था इसकी सम्भावना (Probability ) 75%  से कम नहीं थी (सब लगभग एकसे Talented थे ) . बल्कि जिस समय और जिस ढंग से यह कार्य अवसर प्राप्तकर्ता (Opportunity Holder)  द्वारा संपन्न किया है उससे भी बेहतर ढंग से कोई अन्य कर लेता उसकी भी सम्भावना दस प्रतिशत से अधिक रहती है . लेकिन चूँकि किसी अन्य को यह अवसर(Opportunity ) नहीं मिल सका था, अतः ये बातें काल्पनिक रह जाती हैं . अतः प्रशंसा और वाहवाही उसके हिस्से में आती है जिसने विशिष्ट कार्य संपन्न किया (मूर्तरूप दिया ) होता है .

नवयुवाओं (Youth) को ऐसे चुनौतीपूर्ण और कठिन कार्य और दायित्वों से भयभीत नहीं होना चाहिए . यह लेख करना भी उचित ही होगा .. "युवा जो सरल दायित्व पाकर स्वयं के भाग्य की सराहना करते हैं कि अच्छा हुआ मुझे ज्यादा परिश्रम और दिमाग खर्च करने  (Brain Exercising)  वाला कार्य नहीं मिला है और फिर भी मुझे वेतन (Salary) और पद (Post) दूसरे के समान ही मिल रहा है " .. यह वास्तव में भ्रमपूर्ण चिंतन और नकारात्मक सोच (Negative Thinking )  है .

वस्तुतः सरल कार्य हर सामान्य व्यक्ति द्वारा संपन्न करवाया जा सकता है . जबकि विशेष ,महत्वपूर्ण और चुनौतीपूर्ण और कठिन कार्य कुछ ही व्यक्ति करते हैं . वे आरम्भ में सामान्य में से ही होते हैं . लेकिन साहस(Courage)  और इक्छाशक्ति (Willpower ) से विशिष्ट (VIP) बन जाते हैं .

अतः कठिन और चुनौतीपूर्ण कार्य के अवसर मिलने को अपना भाग्य (Luck ) ही मानना उचित होता है . क्योंकि ऐसे अवसर कुछ को ही मिल पाते हैं जबकि अधिकांश ऐसे अवसर पाने से वंचित रहते हैं . और फिर ये अधिकांश जीवन में विशिष्ट उपलब्धियों (Special Achievements )  से वंचित रहते हैं .और अपना जीवन सामान्य नारी-पुरुष सा ही बिताते हैं .

सभी और विशेष तौर से नवयुवा (आज राष्ट्र का स्वतंत्रता दिवस भी है ) कुछ समय नितांत अकेले में विचार चिंतन इस दृष्टि से करें . और स्वयं से प्रश्न करें " उनके जीवन में जो 50 -60 वर्ष आगे हैं उसमे वे सामान्य व्यक्ति की पहचान (Identity) रखना पसंद करेंगे या अन्य जन सामान्य के समक्ष कोई विशिष्ट पहचान (Special Identity) अर्जित करना चाहेंगे ?"

राजेश जैन
15-08-1960









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