Tuesday, August 20, 2013

यह परिचय दें ...

यह परिचय दें (रक्षा सूत्र )
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अपना समय और धन बिन विचार के बहुत से कार्य और गतिविधियों में व्यर्थ करते हैं .
अगर विचार कर उसे इस तरह व्यय करें ताकि वह किसी परेशानी में पढ़े हमारे मनुष्य साथियों के लिए सहायक सिध्द होता है  तो हम अपनी विचारशीलता से मानवता को पोषित करते हैं .
और समाज का हित भी करते हैं जिसे बोलते तो अपना और मानते भी अपना हैं . लेकिन विचारहीनता से किये गए कर्मों से कहीं भी यह साबित नहीं करते कि यह अपना समाज है .

हम विचार करें और कहने और मानने के अतिरिक्त अपने कर्म और आचरण से भी यह परिचय दें "सच में यह समाज मेरा है "

यह समाज सुन्दर बनेगा जहाँ मानवता के वृक्ष लहलहाएंगे और मनुष्यों के बीच परस्पर "स्नेह ,विश्वास ,दया और त्याग " पल्लवित होगा . इस अदृश्य सम्बन्ध को एक सूत्र रूप में भी कल्पना कर सकते हैं (आज भाई -बहन के बीच रक्षा -सूत्र से बंधने और बाँधने का राखी पर्व है ) जिस का मूल्य न होते हुए भी मानवता के लिए अनमोल होगा .

परस्पर बंधने वाला यह रक्षा सूत्र "मानवता बंधन" होगा . जो भाई -बहन के मध्य के "रक्षा बंधन " का विस्तारित रूप होगा . जो ना सिर्फ  भाई -बहन के रिश्ते में अस्तिव में रहेगा ,अपितु हर "पुरुष -पुरुष " ,"नारी -नारी , " युवा -प्रौढ़ " और "धनवान - निर्धन" के मध्य भी बांधा जा सकेगा . जिसका बंधन का वर्ष में कोई एक दिन ना होगा  बिना मुहूर्त विचार के किसी भी दिन किसी भी समय यह "मानवता सूत्र" बांधा जा सकेगा


इस तरह निर्मित समाज और वातावरण के लिए हम सौ सौ बार मरना और इसमें जन्मना पसंद करेंगे .

--राजेश जैन
21-08-2013

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