Friday, August 16, 2013

धन्यवाद तो मुझे कहना चाहिए

धन्यवाद तो मुझे कहना चाहिए
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उसने भ्रमण में बरसते पानी में एक प्रौढ़ नारी को भीगते देखा . हिम्मत जुटाई और उनसे समीप जाकर पूछ लिया .. क्या आपको छतरी की जरुरत है . उनसे सहमति से सर हिलाते देख अपनी छतरी उन्हें दी और कल छतरी वापिस ले आइयेगा कहते अपनी गति से आगे की प्रातः भ्रमण जारी रखी .

अब बरसात में स्वयं भीग रहा था . लेकिन संतुष्ट था कि पीछे छूट गई नारी बरसात में और भीगने से बच गई थी .

कोई एक कि मी आगे पहुँचा होगा एक पुरुष उसकी छतरी के साथ पीछे से पहुँचे . उन्होंने पूछा क्या यह आपकी छतरी है ? उसने हाँ में सर हिलाया .

उन्होंने छतरी वापिस करते हुए कहा . मेरी पत्नी अब शेड के नीचे खड़ी हैं . मै उन्हें कार से पिक कर लूँगा . उसने पूछा आपके कार कहाँ हैं .. उन्होंने उत्तर दिया टैगोर गार्डन के सामने खड़ी है . तब उसने कहा इस छतरी में आप चलें अन्यथा भीग जायेंगे ( वह स्वयं पूरा भीगा था ,और वे अभी भीगे नहीं थे ) उन्होंने हिचकिचाते वह छतरी ली . और फिर कोई आधे -पौन कि .मी . तक कुछ सामान्य वार्तालाप करते टैगोर गार्डन समक्ष खड़ी कार तक पहुँचे .

 वहाँ उन्होंने छतरी के लिए उसे धन्यवाद कहा . और कार तरफ बढ़ने लगे .

तब हाथ मिलाते हुए उसने उनसे कहा धन्यवाद तो मुझे कहना चाहिए .. अन्यथा सहायता लेने में आज लोग हिचकिचाते हैं .. मालूम नहीं सहायता पीछे प्रयोजन क्या है सोच कर .

दोनों के बीच मुस्कराहट का आदान प्रदान हुआ फिर दोनों अपने गन्तव्य की तरफ बढ़ गए ...
 
--राजेश जैन
17-08-2013

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