Saturday, August 17, 2013

विशिष्ट व्यक्ति या नायक ( VIP or HERO )

विशिष्ट व्यक्ति या नायक ( VIP or HERO )
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अपनी कर्मस्थली पर किसी व्यक्ति के किये जाने वाले कार्य को दो वर्गों में विभक्त किया जा सकता है .
एक -स्वयं की अथवा अन्य की मानसिक सोच पर स्वयं द्वारा किया शारीरिक श्रम .
दो  - स्वयं और अन्य की मानसिक सोच पर अन्य से करवाया शारीरिक श्रम .

सामान्य कहे जाने वाले व्यक्ति के किये गए कार्य में वर्ग एक में उल्लेखित कार्य का अंश ही प्रमुख रहता है . लेकिन विशिष्ट श्रेणी में पहुँच रहे व्यक्ति के कार्य में वर्ग दो की उपलब्धि क्रमशः बढती जाती है .
ऐसे में विशिष्ट व्यक्ति की श्रेणी में आ रहे व्यक्ति की "सोच -आचरण " सर्वहितकारी और मानवीय दृष्टि से न्याय पूर्ण होना आवश्यक होता है तभी व्यक्ति जीवन में मानवता और समाज हित अभिप्राय सिध्द कर पाता  है .
"सोच -आचरण "  को इस तरह त्रुटी रहित रखना अत्यंत कठिन कार्य होता है .

व्यक्तिगत अपेक्षाओं का नैतिक स्तर से अधिक हो जाने पर विशिष्ट व्यक्ति भी आसानी से मार्गच्युत होता है और लक्ष्य की दिशा खो देता है . ऐसे विशिष्ट व्यक्ति सामान्य व्यक्ति से भी हीन मानव रह जाते हैं .सच्चे  सिध्दांत और समाज व्यवस्था को अत्यंत क्षति पहुंचाते हैं .  लेकिन आरम्भ में अर्जित कर लिए गए प्रभाव के कारण वे लम्बे समय विशिष्ट ही कहे और माने जाते हैं . इन व्यक्तियों के लिए "छद्म नायक " शब्द का प्रयोग पूर्व लेखों में लेखक द्वारा किया गया है .

आज सच्चे विशिष्ट या सच्चे नायक बिरले ही हैं . जबकि छद्म नायक अनेकों हैं . ये समाज और सम्पूर्ण पीढ़ी को मानवता विपरीत पथों पर भटका रहे हैं . और देखादेखी करने की हेडचाल में "हम सामान्य" इनके अनुगामी होते हैं इन्हें पोषित करने का पाप अपने पर लेते हैं . और स्वयं तथा समाज का अनजाने में अहित करते हैं .

--राजेश जैन
18-08-2013

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