Saturday, August 31, 2013

ना हो हताश प्रिय साथी को खोकर...

ना हो हताश प्रिय साथी को खोकर...
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ना हो हताश किसी प्रिय साथी का साथ खोकर
जीवन मिला तो ऐसा रहता है कभी होकर
ना पा सका तुम्हें उसने जिया तुम्हें खोकर
इसलिए तुम्हें जो मिलो जिओ उसके होकर


लगता जिसके बिना हमें जिंदगी बिताना दुष्कर
और वंचित हुए जीवन में साथ उसका ना पाकर
खोकर उसे ,मिला खाली समय जो उसे हम देते
उस समय में हमने कुछ दूसरे साथ पाए

जो पाया जीवन में लगा ना हमें बहुत मधुर
अप्रिय सा लगता ऐसा जीवन हमें ना मिलता
लेकिन यदि मिलता देखते ऐसा किसी और को
तब उसको मिले की ,कल्पना होती हमें सुमधुर

इसलिए रहें प्रसन्न जो साथ उपलब्ध हैं जीवन में
जो साथ लगता था हमें हमारी ज़िन्दगी जैसा
हम ना हुए धन्य कोई अन्य धन्य साथ पा गया जिसने
हमें मिली ज़िन्दगी की कल्पना होगी धन्य किसी अन्य की


कल्पना है नारी जात होती सुन्दर और प्यारी
यथार्थ वह पुरुष जात जो लगता कठिन सभी को
इसलिए जियो यथार्थ करो जीवन पथ अपना पूरा
रख कर सुन्दर कल्पना ह्रदय ,नयनों में जैसे सपना   

सुन्दर कल्पना और पाला हुआ अपना सपना
जीवन को उन्नति दे ऐसे लक्ष्य पर पहुंचाएगी
जीवन कल्पनाओं से अधिक सुहाना बन पायेगा
जिसे देख दुनियाँ दाँतों तले उँगलियाँ दबाएगी

पढ़ें ,समझें मित्र जीवन लगभग एकसा होता सबका
अपेक्षाएं आवश्यकतायें जीवन से सबकी हैं होती
जिसकी अपेक्षा तुमको गर उसको भी तुम्हारी अपेक्षा
मिलोगे दोनों अन्यथा चलने दो उसे पृथक पथ पर

जबरन खींच अपनी ओर जो पाओगे
अन्याय बोध जीवन भर कष्ट दे जाएगा
देखो, अनुभव करो जीवन जो चलता न्यायपूर्वक
मिलती प्रसन्नता तुम्हें और तुम्हारे उस प्रिय को

--राजेश जैन
01-09-2013

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