Thursday, May 27, 2021

सन 2121 ….

 

सन 2121 …. 

दो दोस्त राम और श्याम, बहुत दिनों बाद ट्रेन में मिले थे। यद्यपि आज दूर से भी संपर्क में रहने के कई प्लेटफार्म (उपाय) थे। साथ ही मोबाइल कॉल भी जरिया हो सकता था। मोबाइल नं. एक दूसरे के पास थे भी मगर दोनों की व्यस्तताएं इतनी थी कि वे अंतिम बार राम की शादी में, चार साल पहले मिले थे। 

तब से मिलने का संयोग आज बना था। गृहनगर जाने के लिए अलग अलग स्टेशन से दोनों, एक ही ट्रेन की एक ही कोच के, एक ही केबिन में आ बैठे थे। 

दोनों ने साथ खाना खाया था। एक दूसरे के हाल चाल पूछे-जाने थे। इस बीच रात के 9.30 बज गए थे। केबिन में लोअर बर्थ, एक माँ और उनकी युवा बेटी की थी। जब माँ, सोने की तैयारी करते दिखी तो राम की अपर बर्थ पर, अपनी बातों का सिलसिला जारी रखने के लिए, श्याम भी चढ़कर साथ बैठ गया था। 

उनकी बातों से सोने वालों को व्यवधान न हो इस दृष्टि से दोनों धीमे स्वर में बात करने लगे थे। 

श्याम बोला - क्या समय आया है। हम वर्षों से मित्र रहे हैं मगर लगता है मित्रता का हमारा रिश्ता मात्र नाम का रह गया है। 

राम ने हँसकर कहा - यह तो फिर भी ठीक है कि अभी मिलने पर हम मित्रवत तो हैं। कल्पना कर यार, कि सन 2121 में, कोई अब के रिश्ते बच भी पाएंगे या नहीं?

श्याम सोचते हुए बोला - यार, यह प्रश्न तो तुम्हारा विचारणीय है। आज कहीं दो भाई साथ नहीं देखे जाते। भाई-बहन साथ नहीं घूमते दिखाई नहीं पड़ते। 

राम ने आगे जोड़ते हुए कहा - संतान की प्रगति में बाधक ना होने के विचार से वृद्ध हो रहे माँ-पिता, वृद्धाश्रम का मुँह कर रहे हैं। 

श्याम ने चिंतित हो कहा - हमारी पीढ़ी विवाह करने की जगह लिव इन रिलेशनशिप को महत्व दे रही है। पति पत्नी का रिश्ता यूँ मिटने को हो रहा है। 

राम ने कहा - इसलिए तो श्याम मेरे मन में यह प्रश्न आया है कि प्राथमिक माँ-बच्चों, भाई-भाई, भाई-बहन और पति-पत्नी के रिश्ते ही जब आज मुश्किल हो रहे हैं तो अन्य रिश्तों की क्या बिसात? आज के 100 वर्ष बाद इनमें कौन से रिश्ते बचे रह सकेंगे?

श्याम ने कहा - राम, मेरी समझ में मानव संतति क्रम चल सके इस हेतु कम से कम “माँ-बच्चे” का रिश्ता तो रहेगा ही।  

राम ने विचार करते हुए कहा - मेरी समझ में, बच्चा तब कहेगा। हमें पैदा करके इस औरत (माँ) ने मुझ पर कोई अहसान थोड़े ही किया है। मैं तो इसकी “काम वासना पूर्ति” की प्रोसेस का बाई प्रोडक्ट हूँ। 

श्याम ने पूछा - क्या, कोई बच्चा यह नहीं देखेगा कि उसे, उसकी माँ ने पाल पोसकर बड़ा तो किया है?

राम ने कहा - शायद नहीं! बच्चे का तर्क होगा, यह तो मेरी शक्ल और बाल सुलभ क्रियाएं इसका (माँ) मनोरंजन करती थी इसलिए इसने मुझे बड़ा किया है। 

श्याम ने पूछा - माँ-बच्चे का रिश्ता ही यदि नहीं रहा तो फिर तब, मनुष्य समाज में रिश्ते क्या होंगे?   

राम ने कहा - रिश्ते, व्यावसायिक और वासना के बचेंगे। एक मनुष्य दूसरे के लिए एक भौतिक वस्तु की तरह होगा। जब तक एक के हित दूसरे से सधते रह सकेंगे तब तक उनमें रिश्ता होगा। अन्यथा उनमें, दुश्मनी और नफरत का रिश्ता ही, स्थाई रूप में रहेगा। 

श्याम ने पूछा -  मगर भाई! क्या आज कोई उपाय नहीं कि हम पर आसन्न यह “संवेदनहीन मानव समाज” होने का खतरा टाला जा सके?

राम ने कहा - यही तो मनुष्य की क्षमता की सीमा होती है। कई बार समस्या सामने होती है, समाधान उसे कोई सूझता नहीं है। 

दोनों के बीच कुछ पलों की चुप्पी व्याप्त हुई थी। तब नीचे के बर्थ से आवाज आई - नहीं मैं, आप से सहमत नहीं। मानव में क्षमता असीमित और लगभग भगवान जितनी ही होती है। मनुष्य इसका प्रयोग करना भुलाए रखता है। जब उसे अपनी क्षमता का भान होता है वह हर समस्या का समाधान निकाल लेता है। 

राम और श्याम ने एक साथ ही चौंकते हुए नीचे देखा था। मद्धम रोशनी में उन्होंने युवती (बेटी) को यह बात कहते हुए देखा था। 

युवती की बात सुनकर, श्याम ने पूछा - क्या आप हमारी बातें सुन रही थीं?

युवती ने कहा - हाँ, आप दोनों में हो रही बातें, मुझे रुचिकर लग रही थी। सॉरी, मैंने कान लगाकर सब सुना है। 

श्याम ने तब पूछा - तब आप बताओ कि 2121 में रिश्तों को इस तरह बदरूप होने से कैसे रोका जा सकता है। 

युवती ने उत्तर दिया - मेरी समझ से, मनुष्य आज जिस मार्ग और दिशा की ओर चल रहा है उसका नाम बदलना होगा। 

अब राम ने अधीरता से पूछ लिया - मैं समझा नहीं, आप क्या कहना चाहती हैं। 

युवती ने कहा - आज जिसको, आधुनिकता की दिशा बता कर उस ओर सब आकर्षित हो रहे हैं, मानव की चलने की इस दिशा को ‘पुरातन दिशा’ में चलना कहना होगा ..... 

--राजेश चंद्रानी मदनलाल जैन

27-05-2021

          

 


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