क्या होता है मानव होना?
जैसा परिदृश्य आज का
उसे इतिहास यूँ लिखेगा
कि नित लोग मर रहे थे
हम वह देखते और कहते
हमारा नहीं उसका मरा है
फिर हमारा कोई मर गया
उस ने देखा और फिर कहा
हमारा नहीं उसका मरा है
सावधानी और सबक
ना हमने लिया ना उस ने
मौत तांडव मचाती रही
जिसमें दोनों इतिहास हो गए
काश परिदृश्य दूसरा होता
इतिहास कुछ यूँ बनता कि
मॉस्क पहने डिस्टेन्सिंग में
यह सोच हम रहते थे कि
शायद मैं संक्रमित हूँ, मुझसे
कोई संक्रमित ना हो जाए
हमारा समाज सभ्य था यूँ
विवेक विचार चलता गया
प्रश्न मेरे ही बचने का नहीं
उसके बचने का भी बन गया
मेरा क्या था मैंने जी लिया
और देख ली थी दुनिया
दुनिया क्या है देखने को
खुशी, बेचारा वह बच गया
तब इतिहास उसने यूँ लिखा कि
मैं इतिहास वह लिख रहा हूँ
जो इतिहास वह रच गया था
देकर अपनी साँसे वह, मुझे
जीने का अवसर दे गया था
भव्य इतिहास लिखने के लिए
परोपकारी मुझे छोड़ गया था
क्या होता है मानव होना, वह
मर कर मुझे दिखा गया था
--राजेश चंद्रानी मदनलाल जैन
04-05-2021
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