Tuesday, August 27, 2019

हर लम्हा गुजरता है
हर इंसा गुजरता है
कद्र रहे लम्हे और इंसा की
कि हमें ख़ुद भी तो गुजरना है

ज़िंदगी में मुहब्बत मिले - जरूरत सब की है
चलो ये जरूरत आपकी - हमसे मुकम्मल है

ज़िंदगी से हमें सब हार ही जाना है तब
उससे जीत कर दिल न उसका दुखायेंगे
ख़ुश उसे देख देख कर
हम ज़िंदगी से जीत जायेंगे

ताने उलाहने देना हमारी ही कमजोरी होती है
हम लेकिन इससे प्रताड़ित अन्य को करते हैं

हम चाहें तो अपनी बुध्दिमत्ता से किसी बुरे को अच्छा बना सकते हैं
लेकिन उस पर अपनी श्रेष्ठता देखने के लिए उसे बुरा ही रहने देते हैं

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