Monday, April 17, 2017

आफरीन - आदिल (निरंतर)


आफरीन - आदिल (निरंतर)
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आदिल की उस रात ढाई बजे नींद खुल गई . मध्दिम नाईट लैंप की रोशनी में बाजू में सो रही , आफरीन के खूबसूरत चेहरे पर उसकी नज़र पड़ी और फिर उसे आफरीन के बताये उस प्रेमी का ख्याल आ गया , जिससे आफरीन को प्रथम प्रेम की अनुभूति हुई थी . आदिल को अपने मन में उससे ईर्ष्या का ख्याल आ गया . फिर वह सोचने लगा - वह भी क्या करे आफरीन है ही बला की खूबसूरत - कौन होगा? जो इस रूप की मन ही मन तारीफ़ न करे . ऐसे सारे पुरुषों से उसे एक तरह की चिढ सी अनुभव हुई - जो उसकी आफरीन की खूबसूरती को सराहें या चाहें . उसके अंदर के ईर्ष्यालु पुरुष ने इस का उपाय सजेस्ट किया - क्यों ना आफरीन को वह हिज़ाब में बाहर आने जाने कहे? लेकिन स्वयं उसने इस आइडिये को रिजेक्ट किया कि नहीं - उस अतिरिक्त लबादे को लादे रहना कोमलांगी आफरीन के लिए अत्यंत कष्टकर होगा।
आदिल बैचैन हो गया .वह सारे ख्याल झटक सोना चाहता था लेकिन फिर उसकी नज़र आफरीन की खूबसूरती पर पड़ी जो , आदिल की दिली हालत से बेखबर , नींद के आग़ोश लेटी हुई थी . पुनः हस्बैंड वाले पजेसिव तथा ईर्ष्यालु विचार ने उसे सुझाया क्या वह आफरीन को जॉब छोड़ने कहे ? लेकिन तभी इस विचार को भी ,बेवकूफ़ी भरा मानना पड़ा . इस तरह आफरीन के जीवन अवसर को वह कम करने का प्रयास करेगा तो क्या आफरीन अपने उस मूक प्रेम की याद और तुलना में न पड़ जायेगी - कि आदिल से अच्छा तो वह प्रेमी होता जिसके घर में नारी के प्रति खुली सोच तो थी।
आफरीन - उस प्रेमी के बारे में सोचेगी - यह कल्पना उसे नागवार लगी . आदिल ने बेचैनी में आफरीन के दूसरे तरफ करवट लेकर - ईर्ष्यालु विचार पर काबू करने की कोशिश की , लेकिन हाय आफरीन की खूबसूरती और हाय पुरुष मन का पत्नी पर एकछत्र आधिपत्य वाला स्वभाव! आदिल फिर उपाय खोजने में व्यग्र हुआ - तभी उसके दिल में एक और ख्याल आ गया - क्यों ना ? वह जल्दी जल्दी चार-छह औलादें पैदा कर ले. जिससे छह बच्चों की अम्मा हो जाने से आफरीन की खूबसूरती कम भी हो जाए - और लोगों का उसके प्रति आकर्षण भी खत्म हो जाए , एकबारगी यह उपाय उसे ठीक लगा , लेकिन तभी इसमें भी बेवकूफी नजर आई . इससे तो आफरीन पुनः उस प्रेमी के बारे में सोचा करेगी जो - एक या दो बच्चे से ज्यादा नहीं चाहता , जिससे आफरीन को बार-बार औलादें पैदा करने का कष्टकर कार्य नहीं करना होता . आदिल को अपने स्वयं के बाल नोच लेने की इक्छा हुई। आदिल सोचने लगा इससे तो बेहतर होता आफरीन इतनी खूबसूरत न होती . किंतु उसे हँसी आई अपने पर ,फिर तो वह बाहर की खूबसूरती देख ललचाया घूमता रहता।
वास्तव में आदर्श और मन की कमजोरी के यथार्थ के बीच हमेशा द्वन्द रहता है, जिसके बीच बहुत लोगों को - पूरे जीवन झूलना होता है। आदिल की इस रात की मनः स्थिति इसलिए कोई अपवाद नहीं थी।
अंततः आदिल ने एक तरह से निर्णय किया कि - नहीं नहीं वह आफरीन को सिर्फ जिस्मानी ही नहीं रूहानी प्रेम का अहसास कराएगा - जिससे बाहर उस पर कोई पहरे नहीं रख कर भी - आफरीन के दिल का एकमात्र बादशाह सिर्फ आदिल होगा।
"धन्य नजर , हुस्न के भीतर रूह देख सका
उससे मोहब्बत अपनी ,मैं रूहानी कर सका"
इस निर्णय के बाद उसके दिल को राहत आई . उसने आफरीन के तरफ करवट ली ,उसके सुंदर मुखड़े को प्यार से निहारने लगा और किसी पल उसे आफरीन जैसे ही नींद ने अपने आगोश में ले लिया।
--राजेश जैन
18-04-2017
https://www.facebook.com/narichetnasamman/

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