Thursday, April 13, 2017

आत्मसम्मान पर चोट के बाद पुनः विश्वास कर पाना

आत्मसम्मान पर चोट के बाद पुनः विश्वास कर पाना
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पत्नी के आत्मसम्मान आहत हो जाता है , जब उसे पता पड़ता है कि उसका पति - छुप कर कोई अवैध ताल्लुकात रखता है। समझाये जाने पर कुछ पति सुधर जाने और भूल दोबारा न करने का विश्वास भी दिलाते हैं। लेकिन विशेषकर पुरुष , छली गई ऐसी मासूम पत्नी के हृदय की वेदना और मनःस्थिति की कल्पना नहीं कर पाता है। घर गृहस्थी - बच्चे और परिवार के अपने कर्तव्य निभाने में व्यस्त ऐसी पत्नी के लिए , पति के दिलाये जा रहे विश्वास के बाद भी - अपने आत्मसम्मान पर लगी चोट का दर्द असहनीय होता है। पति जिसने विश्वासघात किया है ,के आगे के लिए दिलाये जा रहे भरोसे पर भी उसे शंका होती है।
ऐसी छली गई पत्नी के लिए हमारा यह पेज कहता है -
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प्रिया , जी हाँ तुम्हारे साथ छल से तुम्हें हानि हुई है , प्रत्यक्ष दिख भी रहा है , हम समझ भी सकते हैं। लेकिन प्रिया , आप विचार कीजिये कि उस छल के दुःख में रहने से क्या आप अपने दिन ख़राब नहीं कर रही हैं? प्रिया , हमारे अनुमान से आपके जीवन के बीस हजार दिन बचे हैं , जो ही इस जीवन में आपकी शुध्द पूँजी है। अवसाद और दुःख का काला रंग घोल कर क्यों इन दिनों को व्यर्थ कर रही हैं? यह आपके साथ हुए छल की प्रत्यक्ष हानि से बहुत ज्यादा है कि अपने जीवन के बेशकीमती दिनों को यूँ बर्बाद कर दो। प्रिया ,आप छल के विचार से अपने को शीघ्र उबारिये। आप बदले की आग में जल कर स्वयं निर्लज्जता का काम भी न करें . आप अपने सामर्थ्य को समझिये और उन कार्य (सुंदर रंगों )से अपने जीवन के हरेक दिन को भरिये , जो परिवार - समाज और नारी चेतना जागृत करने में सहायक होते हैं। प्रिया अपने पति को प्रायश्चित करने के लिए सुलभ परिस्थिति दीजिये .अपने माँ-पिता से उनने संस्कार ग्रहण किये होंगें तो सुधर जायेंगे । आपके जीवन में यह भी एक उपलब्धि से कम न होगी कि आपने भटके पथिक को सही राह दिखाई है।
ऐसे पति के लिए जो अपनी आश्रिता के विश्वास को छलते हैं -
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ज्यादा कुछ आपके लिए नहीं है - बस आप यह कल्पना कीजिये कि आपकी माँ और शायद आपकी कोई बहन होगी या बेटी भी हो सकती है के पति आप जैसे निर्लज्ज हों तो आपको कैसा अनुभव होगा? एक कल्पना और कर लीजिये कि आपकी पत्नी , बहन या बेटी आपके जैसे चरित्रहीन हो तो आप उसके लिए किस तरह के दंड की सोचेंगे? उसके थोड़ा ही दंड आप अपने को दे लीजिये। आप , यह भी कल्पना कीजिये - जिस औरत को आपने अपनी कुत्सित/अवैध कामान्धता के दायरे में लिया है , वह अपने पिता/भाई/पति या बेटे के विश्वास को क्या अनायास ही नहीं छल रही है? आपने स्वयं तो किसी के विश्वास को ठगा ही है , साथ ही एक औरत को भी आपने विश्वासघाती बनाने का अपराध किया है। आपको मिलने वाला कुछ नहीं है -आपके इस मनोरोग से। आप जीवन भर भटक भी लोगे ,तृप्ति के लिए तब भी अतृप्त ही मरोगे। विश्वास न हो तो देख लीजिये अस्सी -नब्बे वर्ष के ऐसे कुख्यात अतृप्त हैं कुछ अभी।
-- नारी चेतना और सम्मान रक्षा

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