Friday, April 21, 2017

आफरीन-आदिल (6.हलाला)

आफरीन-आदिल (6.हलाला)
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आफरीन के टीवी पर व्यक्त प्रगतिवादी विचार जो काम कर रहे थे उसका अनुमान आफरीन को नहीं था। एक दिन उसे फ़ोन कॉल आया। उस पर जनाना आवाज थी। उसने पूछा ,आप आफरीन हैं ? उसकी हामी पर उसने कहा मैं आयशा हूँ ,अपनी समस्याओं पर सलाह के लिए आपसे मिलना चाहती हूँ। आफरीन ने जो मुकर्रर किया उस समय पर आयशा उससे मिली। बाद में आफरीन ने आदिल को बताया -
 
"एक गैर मुस्लिम लड़की ने प्यार में अपने घरवालों से विद्रोह कर एक मुस्लिम युवक से शादी की। शादी को तीन माह ही हुए कि सरकारी आदेश से उस युवक का बूचड़खाना बंद हो गया। बंद होने के बाद भी वह घर से ही अवैध ठहराया गया व्यापार करने लगा . आयशा के बार बार मना करने और रोका-टोकी से एक दिन उसे इतना गुस्सा आ गया कि उसने आयशा पर जुबानी तलाक दे दिया। कुछ दिन बाद ही आयशा से प्रेम की यादों ने उसे पछतावे से भर दिया है। लेकिन घर और समाज के रिवाज अनुसार ,फिर से निकाह के पहले अब आयशा पर हलाला होना जरूरी है। आयशा - मानसिक रूप से इस बात को कतई राजी नहीं ."
 
मुझसे उसने सलाह और मदद की गुहार लगाई है , हम उसके लिए क्या कर सकते हैं ? इस सवाल पर आदिल-आफरीन ने गंभीरता से विचार किया। और जो उपाय निकाला उस अनुसार - आयशा का निकाह आदिल से करवाया गया। जैसा आयशा को विश्वास दिलाया गया था , तीन दिन बाद आदिल ने बिना आयशा से जिस्मानी संबंध किये उसे तलाक दे दिया। समाज की नज़र में आयशा , हलाला होने से अपने पूर्व शौहर से निकाह कर सकती थी। उनका निकाह हो गया। आफरीन -आदिल की युक्ति यद्यपि मौलवियों की नज़र में नापाक थी , किंतु गैर मुस्लिम रही आयशा के लिए पवित्र थी , जो भावनात्मक रूप से अपने हस्बैंड के अतिरिक्त किसी भी अन्य से शारीरिक संबंध को सर्वथा वर्जित मानती है।
आदिल के सहयोग से आफरीन अपने पूरे प्रयास लगा देना चाहती है जिससे वह वैचारिक धारणा बदल जाए जिसमें , मुस्लिम जनाना थर्ड डिग्री इंसान होने का दर्जा पाती है। जो फर्स्ट डिग्री इंसान (मर्द) और सेकंड डिग्री इंसान (अन्य समाज की नारियाँ) के बाद उसका ऐसा दर्जा सबसे बुरे हालातों में जिंदगी गुजर करने को विवश करता है।
--राजेश जैन
22-04-2016
https://www.facebook.com/narichetnasamman/

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