Wednesday, February 5, 2014

लौटा दो "भारत रत्न"

 लौटा दो "भारत रत्न"
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"भारत रत्न" वह सम्मान है जो भारत राष्ट्र या समाज के निर्माण में प्रेरणा दूत बने व्यक्ति को दिया जाता है ."भारत रत्न" राष्ट्र नागरिकों के  व्यक्तित्व निर्माण या राष्ट्र का जनजीवन सुलभ करती अधोसंरचना निर्माण में प्रेरणा दूत बने व्यक्ति को अभूतपूर्व योगदान के लिए दिया जाता है.

किसी अन्य को क्यों मिला या किसी को क्यों नहीं मिला इस पर लेखक कुछ नहीं लिखना चाहता लेकिन जब तुम्हें मिला तो अवश्य लेखन को मन होता है.

एक खिलाडी के तौर पर तुम्हारी प्रशंसकों की भीड़ में लेखक भी सम्मिलित रहा है . स्थापित होने वाले तुम्हारे हर अगले कीर्तिमान की अधीरता से प्रतीक्षा वर्षों करता रहा है. स्थापित किये तुम्हारे हर कीर्तिमान के समय ऐसा आनन्द अनुभव किया है जैसे निजी कुछ अनमोल हासिल हुआ है.  इस सब के बाद तुम्हें अर्जुन ,पद्मश्री इत्यादि मिले अच्छा लगा.  किसी खिलाडी के लिए उपलब्धि होती है.  लेकिन "भारत रत्न" मिला और तुमने ग्रहण किया आनंद नहीं एक बैचैनी उत्पन्न करता है लौटा दो इसे.

वस्तुतः मनोरंजन और देश को गौरव के पल तो अनेंको अवसर पर बहुत दिलाये तुमने . किन्तु व्यक्तित्व निर्माण , समाज निर्माण या देश के युवाओं को स्व-व्यक्तित्व निर्माण की प्रेरणा  ऐसा कुछ तुमने अब तक नहीं दिया या दिया भी है तो अभूतपूर्व जैसा कुछ नहीं है. समस्याओं से घिरे हमारे राष्ट्र या समाज का जीवन सरल करने का कोई बहुत बड़ा कार्य तुम्हारे द्वारा किया जाना शेष है .

दो टूक कहा जाए तो इस दिशा में अब तक अनायास अवरोध ही बने हो .  जब हजारों घंटे, करोड़ों लोगों ने स्टेडियम और दूरदर्शन के सामने तुम्हारे खेल देखने में व्यर्थ किये. इन देखने वालों ने जीवन के अमूल्य समय जिससे उनका व्यक्तित्व निखरता , अपने परिवार के लिए कुछ अतिरिक्त करते तुम्हारे लिए व्यर्थ किये. घंटों अपने कार्यालीन,व्यवसायिक  या अन्य दायित्वों को नहीं निभाया. विद्यार्थी ,पढ़ते और अपनी योग्यता बढ़ाते इससे विमुख रहे. यद्यपि इन  सब का आरोप तुम पर नहीं है , तुमने किसी से अपने खेल देखने का कोई निवेदन नहीं किया था. किन्तु इस दृष्टि से विचार करने पर भी तुम्हारी "भारत रत्न" की पात्रता नहीं बनती.

"भारत रत्न" का चयन करते हैं वे महान नहीं होते हैं , किन्तु तुम यदि महान होते तो "भारत रत्न" तुम ग्रहण नहीं करते.परम्परा से हट कर किसी खिलाडी को क्यों ये दिया जाना चाहिए? ये सोचते.  और "भारत रत्न"  के योग्य बनने के आगामी जीवन में उपाय करते ,यह तुमसे अपेक्षित था. तुम्हारा जीवन बहुत शेष है . शेष जीवन में राष्ट्र निर्माता के रूप में पहचान बना सकते हो.इस समाज और इस राष्ट्र को एक सच्चे मानवता दूत की आवश्यकता है, तुम्हारे लिए ऐसा बनना सरल है . तुम्हारा जीवन बहुत अभी बाकि है दुनिया में ख्यात हो , कैमरे तुम पर फोकस हैं, तुम्हारी बात को प्रचार करने को सब अधीर हैं. इस हैसियत से कुछ करना किसी दूसरे की तुलना में तुम्हारे लिए आसान है.

लौटा दो आज  "भारत रत्न" .फिर शेष जीवन में करो योगदान इस दिशा में  .और योग्य बन कर प्राप्त कर लो "भारत रत्न" वापस. सभी खुश होंगे. महान खिलाडी से महापुरुष बनो , महानता दिखाने का साहस करो , झपटकर सभी हासिल कर रहे हैं , तुम भी ऐसे ना बनो.

अस्वस्थ हो चली परंपरा की दिशा तुम मोड़ सकते हो.  स्वस्थ परंपरा डालने के लिए  लौटा दो "भारत रत्न" .

-- राजेश जैन
06-02-2014      

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