Saturday, February 1, 2014

सहारा बनूंगा

सहारा बनूंगा 
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ना जलो प्रगति से मेरी, परिचित मेरे
खुशहाल अगर मैं रहा ,सहारा बनूंगा

सोचते ऐसा सब परिजन अपने, लेकिन
जलने वाले परिजनों में से ही मिलते हैं

छोड़ें दीपक को जलने के लिए क्योंकि
जलकर स्वयं वो देता उजाला सबको

ना जलो प्रगति से मेरी, परिचित मेरे
खुशहाल अगर मैं रहा ,सहारा बनूंगा

जलकर परिजन ,परिचितों से अपने
जलाते रक्त उसका और अपना ही हम

अवरोध बन प्रगति पथ में अपनों की
काम आता बुरे वक्त में खोते वह सहारा

ना जलो प्रगति से मेरी, परिचित मेरे
खुशहाल अगर मैं रहा ,सहारा बनूंगा

ना हुए उन्नत, सहायक हों प्रगति में तो
परिजन थामे, हाथ उन्नति पथ में बढ़ते

प्रगति कर खुशहाल अगर परिजन होगा
जलने से बच स्व-ह्रदय प्रफुल्लित होगा

ना जलो प्रगति से मेरी, परिचित मेरे
खुशहाल अगर मैं रहा ,सहारा बनूंगा

राजेश जैन
02-02-2014


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