Wednesday, February 5, 2014

जीवन गणित

जीवन गणित
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छल कपट कितने भी करें , हासिल कुछ ना होगा
शून्य मौत से गुणा होकर , रहा शेष शून्य ही होगा


बुरे कर्म बुरे आचरण ये ऋणात्मक उपलब्धियां
जीवन का गुणा मौत से हो शेष शून्य ही रहती हैं  


अच्छे हों आचार-विचार ,कर्म और व्यवहार हमारे 
वे शून्य होने पर भी मानव समाज भला बनाते हैं


प्राणी जो भी करे जीवन में हासिल शून्य ही होगा
भला करे तो निजी नहीं मानवता को हासिल होगा


छल कपट कितने भी करें , हासिल कुछ ना होगा
शून्य मौत से गुणा होकर , रहा शेष शून्य ही होगा


जीवन उपलब्धियाँ निज दृष्टि से शून्य हो जाती हैं 
ले पीढ़ी आज संकल्प तो मानवता को हासिल होगा


त्याग किया अपनी लालसाओं का, महान उन्होंने
पा तब मानव सभ्यता की इस मंजिल पर लाया है


जीवन गणित के इस साध्य को हमें साधना होगा
भुगत रहे हम समाज बुराइयाँ हल उसका ये होगा


छल कपट कितने भी करें , हासिल कुछ ना होगा
शून्य मौत से गुणा होकर , रहा शेष शून्य ही होगा


अंकगणित से ये भिन्न जीवनगणित ज्ञान होता है
शून्य से गुणा होकर भी समाज हिस्से शेष रहता है


छल कपट कितने भी करें , हासिल कुछ ना होगा
शून्य मौत से गुणा होकर , रहा शेष शून्य ही होगा


--राजेश जैन
05-02-2014


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